भारत से लॉन्च होगा इज़राइली विद्यार्थियों का बनाया हुआ उपग्रह

इज़राइल के होनहार कम उम्र के वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया सैटेलाइट कल यानि 11 दिंसबर को भारत के उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा।
भारत से लॉन्च होगा ये उपग्रह
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राज एक्सप्रेस। इज़राइल के होनहार कम उम्र के साइंटिस्ट्स द्वारा बनाया गया सैटेलाइट कल यानि 11 दिंसबर को भारत के सैटेलाइट प्रक्षेपण केंद्र श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा। इस सैटेलाइट को PSLV C - 48 की मदद से लॉन्च किया जाएगा।

विद्यार्थियों का तीसरा सैटेलाइट

इजराइल के विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए सैटेलाइट सीरिज में डुचीफा 3 (Duchifat 3) तीसरा सैटेलाइट है। इसे हेर्जलिया विज्ञान केंद्र और शार हनेगेव (Sha’ar Hanegev) हाई स्कूल के 60 विद्यार्थियों ने मिलकर बनाया है।

यह एक फोटो सैटेलाइट है, जिसका वजन 2.3 किलोग्राम है। इसको रिमोर्ट से नियंत्रण किया जा सकेगा। बता दें ऐसे सैटेलाइट का इस्तेमाल परिस्थितिकी शोध (Ecological Research) करने के लिए किया जाता है।

लंबे वक्त बाद तैयार हुआ सैटेलाइट

इस प्रोजेक्ट के लिए आर्थिक मदद कर चुके और आईसीए फाउंडेशन के प्रमुख जीव मिलर ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि, 'छात्रों ने इस सैटेलाइट पर लगभग ढाई साल से भी ज्यादा समय तक काम किया है। सैटेलाइट की प्लानिंग करना, लिखना, लॉन्च के लिए टेस्ट करने जैसे महत्वपूर्ण काम इन विद्यार्थियों ने ही किया है।'

आईसीए (ICA) पिछले कई सालों से इजरायल के गलील और नेगेव क्षेत्र में शैक्षिक, कृषि और पर्यटन परियोजनाओं पर काम कर रहा है।

भारतीय साइंटिस्ट से काम सीखने की इच्छा

इस प्रोजेक्ट पर काम कर चुके 17 साल के एलोन ने इसे एक नया अनुभव बताया है। उनका कहना है 'ये प्रोजेक्ट भर नहीं है, एक नया अनुभव भी है। हमने खुद से काम करके बहुत सी बातें सीखी।'

एलोन भारत के वैज्ञानिक प्रोजेक्ट से काफी प्रभावित हैं। एलोन ने इच्छा जताई कि उन्हें और उनके दोस्तों को इसरो के वैज्ञानिकों से मिलने और कुछ नया सीखने को मौका मिले।

"मुझे उम्मीद है कि इस लॉन्च और उसके बाद होने वाले मिलन समारोह से, भारत और इजरायल के छात्र करीब आएंगे। भविष्य में दोनों मुल्क के बच्चों को अन्य वैज्ञानिक परियोजनाओं पर एक साथ सहयोग करते देखकर खुशी होगी।

Zeev Miller(आईसीए फाउंडेशन)

भारत ही क्यों

इस सवाल पर जीव मिलर का कहना है, 'इज़राइल और भारत दोनों देशों के बीच रिश्ते अच्छे हैं। भारत के पास अच्छे संसाधन है और इसरो के वैज्ञानिक कई सैटेलाइट्स का सफल प्रक्षेपण करने में सफल रहे हैं, इसलिए भारत को चुना गया।'

सैटेलाइट बनाने में शामिल 3 विद्यार्थी एलोन एब्रामोविक (Alon abramovich) , (Meitav Assulin) मेताव एसुलिन , शेम्यूल अवीवी लेवी (shmuel Aviv Leviv) भी प्रक्षेपण के समय उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र में मौजूद रहेंगे। ये तीनों विद्यार्थी अपने सहयोगी विद्यार्थियों का प्रतिनिधित्व करेंगे।

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