INS Vikrant : भारत में बने 'INS विक्रांत' में क्या कुछ है ख़ास, पढ़िए पूरी रिपोर्ट
हाइलाइट्स :
INS विक्रांत में चार एफिल टावर के बराबर लोहे का इस्तेमाल हुआ है।
INS विक्रांत के फ्लाइट डेक पर 30 लड़ाकू विमान एक साथ तैनात किए जा सकते हैं।
इस युद्धपोत में 1700 नौसेना के सैनिक रह सकते हैं और महिलाओं के लिए अलग से कक्ष हैं।
INS Vikrant : भारत का पहला स्वदेशी और अत्याधुनिक यंत्रों से लैस भारतीय नौसेना का 'आईएनएस विक्रांत' जंगी जहाज़ों में शामिल हो गया है। आईएनएस विक्रांत में 76 फीसदी स्वदेशी सामग्री लगाई गई हैं। यह पहला IAC- इंडिजिनियस एयरक्राफ्ट कैरियर यानी स्वदेशी विमानवाहक पोत है। जिसका वजन 45000 टन है। इसकी लम्बाई और चौड़ाई दो फुटबॉल मैदान से भी बड़ी है। अप्रैल 2024 में इसका परिचालन शुरू हो सकता है।
आईएनएस विक्रांत में क्या कुछ है ख़ास
आईएनएस विक्रांत एक चलता फिरता एयरफील्ड है। इसकी लागत 20 हज़ार करोड़ रूपए है और वजन 45 हज़ार टन है। लम्बाई 262 मीटर, चौड़ाई 60 मीटर और ये दो फुटबॉल मैदान से बड़ा है। युद्धपोत में चार गैस टरबाइन इंजन लगे हैं, जिससे इसे 88 मेगावाट की क्षमता मिलेगी। इसमें 15 मंजिलें और 600 से ज्यादा कमरे हैं। इस युद्धपोत में 1700 नौसेना के सैनिक रह सकते हैं। महिला अधिकारियों के अलग से कक्ष बनाये गए हैं।
आईएनएस विक्रांत के फ्लाइट डेक पर 30 लड़ाकू विमान एक साथ तैनात किए जा सकते हैं। समुद्र में इसकी अधिकतम गति 56 किलोमीटर प्रति घंटा है। आईएनएस विक्रांत को बराक और ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों से लैस किया गया है।
आईएनएस विक्रांत में निर्माण कार्य में 4 एफिल टावर के बराबर लोहे का इस्तेमाल किया गया है। इसमें कुल 2 हज़ार 400 किलोमीटर की केबल लगी है। 15 बेड का हॉस्पिटल, आठ पावर जनरेटर, एडवांस्ड किचन की सुविधा है। साथ ही आईएनएस विक्रांत में एडवांस्ड कंट्रोल सिस्टम और कमांड कंट्रोल सेंटर भी मौजूद है।
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