नई दिल्ली। श्रीलंका में जारी राजनीतिक संकट के बीच भारत ने गुरूवार को कहा कि वह स्थिति पर नजर रखे हुए है और स्थिति के लोकतांत्रिक तरीके से जल्द सामान्य होने को लेकर आशान्वित है। भारत की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़ कर जाने में उसकी कोई भूमिका नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि श्रीलंका के लोगों को आगे बढ़ने तथा समाधान तलाशने की जरूरत है और भारत श्रीलंका के लोगों को हर संभव सहयोग देने को तैयार है।
प्रवक्ता ने श्रीलंका से संबंधित सवालों के जवाब में कहा कि क्षेत्र सभी देशों में शांति, समृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करना भारत की पड़ोसी पहले की नीति और सागर सिद्धांत का महत्वपूर्ण पहलू है और श्रीलंका के मामले में भी यही बात लागू होती है। उन्होंने कहा कि भारत के श्रीलंका के साथ निकटवर्ती संबंध हैं और श्रीलंका के लोगों के समक्ष उत्पन्न चुनौती से निपटने में मदद के लिए भारत ने अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि हम श्रीलंका के लोगो के साथ खड़े हैं।
श्रीलंका संकट के लिए रुस जिम्मेदार : जेलेंस्की
यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमिर जेलेंस्की ने श्रीलंका के वर्तमान संकट के लिए रुस को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि उनके देश पर सैन्य कार्रवाई के दौरान खाद्य उत्पादों के निर्यात को रोक देने से दुनिया में अशांति फैल गई है। डेली मिरर के अनुसार सोल में एशियन लीडरशिप कांन्फ्रेस में अपने संबोधन में श्री जेलेंस्की ने कहा कि मॉस्को ने यूक्रेन पर आक्रमण में जिस तरह की नीति का इस्तेमाल किया वह एक आर्थिक झटका था। मौजूदा संकट से भोजन और तेल की आपूर्ति चेन में व्यवधान होने से कई देशों में अशांति हो गई और इससे रुस को लाभ हुआ। श्री जेलेंस्की ने कहा कि इससे केवल हम ही चिंतित नही है, श्रीलंका की घटनाएं इसका उदाहरण है। भोजन और तेल की बढ़ती कीमतों ने एक सामाजिक विस्फोट कर दिया। यह कैसे खत्म होगा कोई नहीं जानता।
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