भारत नहीं कर पा रहा रूस से खरीदे हथियारों का भुगतान, जानिए क्या हैं विकल्प?

भारत को इस बात का डर है कि यदि भुगतान करने में अधिक देरी होती है, तो कहीं जरुरी सामान की डिलीवरी में दिक्कतों का सामना ना करना पड़ जाए। चलिए जानते हैं भारत के पास भुगतान के क्या विकल्प हैं।
भारत नहीं कर पा रहा रूस से खरीदे हथियारों का भुगतान
भारत नहीं कर पा रहा रूस से खरीदे हथियारों का भुगतानSyed Dabeer Hussain - RE
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राज एक्सप्रेस। यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग के बीच रूस को कई आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच भारत से भी प्रतिबंध के चलते रूस को भुगतान करने में देरी हो रही है। मालूम हो कि रूस के द्वारा भारत को 28 हजार करोड़ रुपए के हथियार बेचे गए हैं। लेकिन यूक्रेन के साथ जंग के चलते अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया है, जिस कारण भारत भी अब तक रूस को भुगतान नहीं कर पाया है। अब भारत रूस को भुगतान करने के विकल्प ढूंढ रहा है। चलिए जानते हैं इन विकल्पों के बारे में।

किस बात का है डर?

भारत को इस बात का डर है कि यदि भुगतान करने में अधिक देरी होती है, तो कहीं जरुरी सामान की डिलीवरी में दिक्कतों का सामना ना करना पड़ जाए। मालूम हो कि भारत में अधिकांश सैन्य हथियार जैसे हवा में मार करने वाली S-400 मिसाइल, शिप, रॉकेट लान्चर Smerch, X-31 मिसाइल आदि खरीदता है। इसके अलावा सेना के लिए कई हथियार और हार्डवेयर भी रूस से ही खरीदा जाता है। ऐसे में भुगतान में देरी इस समस्या को बढ़ा सकती है।

क्या हो सकते हैं भुगतान के विकल्प?

सूत्रों से यह बात सामने आई है कि भारत इस समय रूस को भुगतान के लिए तीन विकल्पों पर विचार कर सकता है। जिनमें पहला है चीनी युआन और यूएई दिरहम में रूबल भुगतान। इसे लेकर यह भी कहा जा रहा है कि रक्षा और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और रिज़र्व बैंक के साथ इस विषय पर चर्चा की जा सकती है।

दूसरे विकल्प के रूप में सॉवरेन बॉन्ड का नाम सामने आ रहा है। मामले में एक अधिकारी का कहना है कि रूस की बकाया भुगतान राशि को भारत के ही किसी अलग खाते में भेजे जाने पर रूस के साथ बातचीत की जा रही है। भारत सरकार के द्वारा इस राशि पर सॉवरेन गारंटी भी जारी की जा सकती है।

जबकि तीसरा विकल्प रूस की तरफ से दिया गया एक सुझाव है, जिसमें कहा गया है कि सरकार अपने स्वामित्व वाले व्यवसायों में रूस को कुछ हिस्सेदारी दे। हालाँकि इस हिस्सेदारी को बाद में भुगतान करके समाप्त किए जाने का विकल्प भी मौजूद है।

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