भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय करने को प्रतिबद्ध : पीयूष गोयल
हाइलाइट्स :
भारत वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान करने की क्षमता रखता है।
भारत नेतृत्वकारी भूमिका निभाने को प्रतिबद्ध है।
भारत के पास दुनिया भर में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में योगदान करने के लिए इंजीनियरिंग विशेषज्ञता और क्षमता है।
नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने प्रस्तावित ‘भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा’ परियोजना के संदर्भ में शुक्रवार को कहा कि जी20 की इस पहल पर सहमति में भारत की भूमिका अग्रणी रही और देश वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान करने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि भारत इस दिशा में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने को प्रतिबद्ध है। वह यहां नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित स्वच्छ ऊर्जा पर चौथे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी' के उलक्ष्य में एक परिचर्चा में मुख्य वक्ता थे। इसका विषय था- 'वैश्विक आपूर्ति-श्रृंखला की दृढ़ता प्राप्त करने में भारत को भागीदार के रूप में स्थापित किया जाना।”
उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में भारत की अध्यक्षता में हाल में सम्पन्न जी20 शिखर सम्मेलन में भारत- पश्चिम एशिया- यूरोप आर्थिक गलियारा परियोजना, हरित हाइड्रोजन और सम्पर्क परियोजनाओं के क्षेत्र में समूह के देशों के बीच सहमति इन क्षेत्रों में दुनिया को साथ लाने के लिए कार्य करने की भारत की प्रतिबद्धता दर्शाता है।
उन्होंने जी20 के नेताओं के नई दिल्ली घोषणा पत्र दुनिया को स्वच्छ, टिकाऊ और समावेशी ऊर्जा की ओर ले जाने के विषय में उल्लेखित संकल्प को लागू करने पर जोर दिया।
पीयूष गोयल ने कहा कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे, हरित हाइड्रोजन और कनेक्टिविटी परियोजना जैसी पहलों के माध्यम से भारत वैश्विक नेतृत्व, अड़चनों को दूर करने तथा दुनिया को करीब लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि भारत के पास दुनिया भर में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में योगदान करने के लिए इंजीनियरिंग विशेषज्ञता और क्षमता है। उन्होंने कहा कि जी20 की नई दिल्ली घोषणा में स्वच्छ, टिकाऊ, न्यायसंगत, किफायती और समावेशी ऊर्जा परिवर्तन की रूपरेखा दी गई है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत न केवल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भाग लेना चाहता है, बल्कि दुनिया को अधिक टिकाऊ, समावेशी और परस्पर जुड़ा हुआ बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान देना चाहता है। इसी संदर्भ में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उद्धृत करते हुए कहा, “आज कंपनियों ने सीमाओं और सीमितता को सफलतापूर्वक पार कर लिया, लेकिन अब कंपनियों को केवल लाभ कमाने की सोच से उबरने का समय आ गया है। यह काम आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती और स्वस्थ तरीके से कार्य करने पर ध्यान केंद्रित करके किया जा सकता है।"
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