25 मार्च से शुरु एशिया के सबसे बड़े जैन मंदिर का उद्घाटन समारोह,अमरकंटक पहुंचे आचार्य श्री विद्यासागर महाराज
भारत। एशिया के सबसे बड़े जैन मंदिर का उदघाटन समारोह 25 मार्च से शुरू होने वाला हैं जिसमे शामिल होने के लिए आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज आज अमरकंटक पहुंच गए हैं। अमरकंटक पहुंचने के बाद आचार्य श्री का भव्य स्वागत किया गया हैं। बता दें, अमरकंटक में 25 मार्च से 2 अप्रैल तक श्री 1008 मज्जिनेंद्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन जैन मंदिर में किया जाएगा। जैन मंदिर में अष्टधातु की प्रतिमा का पंचकल्याणक समारोह एवं जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सव किया जाएगा।
कब क्या होगा :
बता दें, अमरकंटक में मंदिर का निर्माण की आधारशिला 6 नवंबर 2003 को तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने आचार्य श्री विद्यासागर के साथ रखी थी। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की उपस्तिथि में जैन मंदिर में उदघाटन समारोह में हजारों श्रद्धालुओं शिरकत करेंगे।आचार्य श्री की उपस्तिथि में मंदिर में विभिन्न कार्यक्रमों को संपन्न किया जायेगा।
25 मार्च को जाप, स्थापना, घट यात्रा के साथ ध्वजारोहण कार्यक्रम संपन्न किया जायेगा ।
26 को सरलीकरण, इंद्रा प्रतिष्ठा और गर्भ कल्याणक (पूर्वरूप) किया जायेगा।
27 में गर्भ कल्याणक (उत्तर रूप) किया जायेगा।
28 को जन्म कल्याणक किया जायेगा।
29 को तप कल्याणक किया जायेगा।
30 को ज्ञान कल्याणक (पूर्वार्द्ध) किया जायेगा।
31 को ज्ञान कल्याणक (उत्तरार्द्ध) किया जायेगा।
1 को मोक्ष कल्याणक और फेरी का कार्यक्रम संपन्न किया जायेगा ।
2 को बिंब स्थापना, कलश रोहण, महा मस्तकाभिषेक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
170 फीट ऊंचा जैन मंदिर का निर्माण :
मध्यप्रदेश जिला के मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक तीर्थ स्थल में एक और दार्शानिक स्थल बढ़ने वाला हैं। दरअसल इस तीर्थक्षेत्र में 170 फीट ऊंचे जैन मंदिर का निर्माण किया गया हैं। जिसका उद्धघाटन समारोह पूरे 9 दिनों में किया जा रहा हैं। इस मंदिर का उद्धघाटन कर विश्व की सबसे वजनी भगवान आदिनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कराई गई।बता दें इस जैन मंदिर को तैयार करने में पूरे 20 वर्ष का समय लगा हैं। निकट भविष्य में यह जैन मंदिर ओडिशी स्थापत्य कला का बिंब होगा।
जैन मंदिर की विशेषताएं:
इस जैन मंदिर निर्माण में सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया। पत्थरों को तराशकर गुड़ के मिश्रण से तराशे गए पत्थरों को चिपकाया गया है।
दीवारों, मंडप व स्तंभों में आकर्षक मूर्तियां बनाई गई हैं। 1994 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में इस मूर्ति को ढाला गया था।
प्रतिमा और कमल का कुल वजन 52 टन है।
अष्टधातु से ढली आदि तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विश्व में सबसे वजनी 24 टन की है, जो अष्टधातु के 28 टन वजनी कमल पर विराजमान है।
राजस्थान के बंसी पहाड़ के गुलाबी पत्थरों से ओडिशी शैली में मंदिर बनाया गया है। भूकंपरोधी यह मंदिर पूर्णत: सुरक्षित है।
जिनालय में स्थापित भगवान आदिनाथ की प्रतिमा का पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव 25 मार्च से आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के ससंघ सान्निध्य में होगा।
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