हरियाणा में नेताओं की बयानबाजी से भाजपा व जजपा के संबंधों में पैदा हुई दरार, खतरे में पड़ा सत्तारूढ़ गठबंधन
राज एक्सप्रेस । हरियाणा में भाजपा और उसकी सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) के बीच संबंधों में खटास पैदा हो गई है। इसकी वजह से मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा हो गया है। जननायक जनता पार्टी (जजपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के बीच शुरु हुई बयानबाजी ने राज्य सरकार के लिए संकट पैदा कर दिया है। जजपा से दूरी बढ़ते देखकर भाजपा ने अपने स्तर पर विधानसभा में बहुमत हासिल करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस बीच, हरियाणा के 4 निर्दलीय विधायकों ने गुरुवार को भाजपा के राज्य प्रभारी बिप्लब कुमार देब से मुलाकात कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों में आस्था प्रकट की है। इसके बाद से जिससे राज्य का सियासी माहौल और गरमा गया है। जजपा के तेवर तल्ख हो गए हैं जबकि भाजपा सरकार को बचाने के प्रयासों में जुट गई है।
बिप्लब देब ने निर्दलीय विधायकों के साथ की बैठक
निर्दलीय विधायकों के साथ बैठक के बाद बिप्लब कुमार देब ने एक बयान जारी कर बताया कि बैठक में हरियाणा के विधायक धर्मपाल गोंदर, राकेश दौलताबाद, रणधीर सिंह और सोमवीर सांगवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास जताया है। बिप्लब देब ने कहा उनकी पार्टी 'डबल इंजन' सरकार की नीति के साथ आगे बढ़ रही है। राज्य की प्रगति के कामों में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। बता दें कि हाल ही में सत्तारूढ़ भाजपा और जेजेपी के बीच मतभेद काफी गहरा गए हैं। दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ने की शुरुआत हरियाणा के डिप्टी सीएम और सत्तारूढ़ गठबंधन में सहयोगी जजपा अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला ने भाजपा को लेकर एक बयान दिया था। उसके बाद बीजेपी की तरफ से हरियाणा के प्रभारी बिप्लब देव ने पलटवार किया था।
दुष्यन्त ने की भाजपा की आलोचना
भाजपा को लेकर हरियाणा के डिप्टी सीएम ने दुष्यंत चौटाला ने कहा था, 'न तो मेरे पेट में दर्द है, न ही मैं डॉक्टर हूं। मेरा काम अपनी पार्टी संगठन को मजबूत करना है।' इतना ही नहीं, उन्होंने उत्तर प्रदेश में माफिया अतीक अहमद और अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या को लेकर भी सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था यह कानून एवं व्यवस्था के उल्लंघन का गंभीर मामला है। पुलिस सुरक्षा के बीच दोनों की हत्या की गई, यह मामला बहुत गंभीर है। इस मामले की जांच होनी चाहिए। उससे पहले भी कई बार दुष्यंत का गठबंधन की लाइन से इतर स्टैंड देखा गया। वे किसान आंदोलन से लेकर पहलवानों के धरना-प्रदर्शन तक में खुलकर भाजपा से अलग खड़े नजर आए।
बिप्लब बोले समर्थन देकर आपने एहसान नहीं किया
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की बयानबाजी पर बिप्लब देव ने जजपा पर निशाना साधा और कहा अगर जजपा ने राज्य में भाजपा को समर्थन दिया है, तो यह कोई एहसान नहीं है। इसके बदले में उन्हें (जजपा) मंत्री पद भी दिया गया है। उन्होंने गठबंधन को लेकर कहा है कि अभी तक सरकार चल रही है। निर्दलीय विधायक भी हमें (भाजपा को) समर्थन दे रहे हैं। इससे पहले बिप्लब देव ने भाजपा की प्रेमलता को उचाना सीट से अगला विधायक बता दिया था। जबकि, वर्तमान समय से इस सीट से डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला विधायक हैं। इसके अलावा भाजपा के कार्यकर्ता सम्मेलन में भी बिना नाम लिए जजपा पर जमकर निशाना साधा गया था।
'गठबंधन में चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इस पर संशय
दोनों दलों के नेताओं की तल्ख बयानबाजी के बाद भी अब इस बात को लेकर सवाल खड़े किए जाने लगे हैं कि 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे या नहीं. हालांकि, दुष्यंत चौटाला कह चुके हैं कि वह भाजपा के साथ ही चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, चौटाला ने एक बयान में यह भी कहा था कि भविष्य में क्या है, मैं भविष्यवाणी करने वाला ज्योतिषी नहीं हूं। उन्होंने कहा, क्या हमें अपने संगठन को दस सीटों तक सीमित करना है? बिल्कुल नहीं. क्या भाजपा सिर्फ 40 सीटों पर सिमटने के लिए चुनाव लड़ेगी? बिल्कुल नहीं। चौटाला ने कहा था कि दोनों पार्टियां 90 सीटों के लिए तैयारी कर रही हैं। वहीं, दूसरी ओर राज्य के भाजपा प्रभारी के बयानों से अब तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हो रहा है।
गठबंधन टूटा तो आसानी से बहुमत जुटा लेगी भाजपा
उल्लेखनीय है कि हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं। यहां बहुमत के लिए 46 सीटों का आंकड़ा जरूरी है। इस समय भाजपा के पास 41 विधायक हैं। जेजेपी भी 10 विधायकों के साथ गठबंधन सरकार में शामिल है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर जेजेपी समर्थन वापस ले लेती है और मुलाकात करने वाले निर्दलीय विधायक समर्थन देते हैं तो तब भी भाजपा सरकार सुरक्षित रहेगी। चूंकि, गोपाल कांडा की एचएलपी पहले ही भाजपा को बिना शर्त समर्थन की बात कह चुकी है, ऐसे में अगर अगले दिनों में जजपा से उसकी दूरियां बढ़ती हैं, तो भी खट्टर सरकार खतरे में नहीं पड़ेगी। वह सरकार बनाने लायक समर्थन जुटाने में आसानी से सफल हो जाएगी।
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