हाईलाइट्स –
ऑनलाइन पढ़ाई का ट्रेंड
मोबाइल का रहा अहम रोल
DigiLEP से विमर्श की युक्ति
राज एक्सप्रेस। कोरोना के कारण दुनिया में सबसे अधिक नुकसान नियमित शिक्षा पद्धति को पहुंचा। भारत के स्कूल-कॉलेजों में भी कोरोना लॉकडाउन के कारण लंबे समय तक ताले अटके रहे।
कोरोना की दस्तक-
दुनिया के साथ भारत में कोरोना के मामलों की बढ़ती संख्या के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में तालाबंदी घोषित कर दी थी। एकाएक उपजी कोरोना वायरस संक्रमण जैसी खतरनाक स्थिति के कारण केजी से लेकर तमाम प्रतियोगी परीक्षाएं नियमित समय पर नहीं हो पाईँ।
इनको प्रमोशन, इनका इम्तिहान –
परीक्षा कराने में हो रही असुविधा के कारण कक्षा एक से आठवीं तक के स्टूडेंट्स को प्रोन्नत करने के आदेश राज्य शिक्षा केंद्र ने 11 मई 2020 को जारी किए थे।
शिक्षण सत्र 2019-20 –
कोविड के कारण दसवीं-बारहवीं के बाकी रह गए विषयों की परीक्षाओं को 9 से 15 जून के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के एहतियात के साथ पूरा कराया गया।
दो बार बदला कार्यक्रम -
पहले इन कक्षाओं के एग्ज़ाम प्रोग्राम को दो बार बदला गया था। पहले यह परीक्षाएं 20 से 31 मार्च के मध्य होना नियत थीं। इस सत्र की अन्य कक्षाओं से जुड़ीं परीक्षाओं को खानापूर्ति बतौर पूरा कराया गया ऐसा माना जाना चाहिए।
शिक्षण सत्र 2020-21 –
कोरोना के खतरे के कारण नए दशक के पहले माह जनवरी तक तो भारत के तमाम प्रदेशों में दसवीं-बारहवीं स्तर की कक्षाओं को छोड़कर बाकी की कक्षाओं की नियमित पढ़ाई अब तक स्कूलों में शुरू नहीं हो पाई है।
डिजिलैप से विमर्श -
नोवल कोरोना वायरस डिजीज (covid-19/कोविड-19) से पैदा पढ़ाई की बाधा को लांघने में सरकारी कार्यक्रम ने सेतु की भूमिका निभाई। डिजिलैप (DigiLEP) यानी डिजिटल लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम से शिक्षक और विद्यार्थियों में विमर्श हो रहा है।
इस प्रक्रिया में शिक्षण सामग्री से शिक्षक और स्टूडेंट्स ऑनलाइन संवाद साध पा रहे हैं। निजी स्तर पर अतिरिक्त राशि खर्च कर सकने वाले आर्थिक संपन्न वर्ग के लोग महंगे निजी एजुऐप्स की सदस्यता लेकर भी पढ़ाई कर रहे हैं।
2021 का परीक्षा कार्यक्रम जारी -
मध्य प्रदेश में दसवीं-बारहवीं तक के स्कूलों को सोशल डिस्टेंसिंग के खास फॉर्मूले के साथ फिर शुरू कराने के बाद हाल ही में माध्यमिक शिक्षा मंडल, भोपाल ने बोर्ड परीक्षाओं के परीक्षा कार्यक्रम जारी किये हैं।
बोर्ड की परीक्षाएं 30 अप्रैल से शुरू होने वाली हैं। पिछले सत्रों की तुलना में इस बार बोर्ड की परीक्षाएं करीब 2 माह देरी से शुरू हो रही हैं। आपको याद होगा कि; कोरोना जनित परिस्थितियों को 30 जनवरी के दिन पूरा एक साल गया।
एक साल पूरा -
आपको बता दें 30 जनवरी 2020 को भारत में कोरोना संक्रमण का पहला केस सामने आया था। मतलब कोरोना समस्या का एक साल का समय पूरा हो गया है।
इस बीच सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में पहली से लेकर अन्य दूसरी कक्षाओं की पढ़ाई-लिखाई की खानापूर्ति भी जारी है।
ऑन लाइन पढ़ाई –
कोरोना की सबसे खास बात यह रही कि अब सभी स्टूडेंट्स (कम-अधिक आयु वर्ग) के पाठ्यक्रम में मोबाइल, इंटरनेट सबसे अहम पार्ट निभा रहा है।
मोबाइल अब बस्ते का अनिवार्य हिस्सा हो गया है क्योंकि स्कूल की ओर से रोजाना मिल रहे शिक्षण सामग्री कार्य (होम वर्क) को अधिकांश स्टूडेंट्स इसी के रास्ते स्कूल तक पहुंचा रहे हैं।
शुल्क में रियायत जरूरी –
उज्जैन निवासी शिक्षक नंद किशोर जादमे का मानना है कि स्टूडेंट्स के लिए कोविड जैसी स्थितियों के बीच इंटरनेट शुल्क में उसी तरह रियायत दी जानी चाहिए जैसी उन्हें पढ़ाई यात्रा शुल्क आदि में प्रदान करने का प्रावधान है।
जबलपुर निवासी एक अन्य सेवा निवृत्त शिक्षिका शीला चौबे का कहना है कि ऑनलाइन स्टडी के मामले में गरीब-अशिक्षित अभिभावकों की स्थिति में मोबाइल खरीदने और उसके संचालन की योग्यता भी अड़चन है। ऐसे में इस मुद्दे पर भी विचार जरूरी है।
साथ ही तकनीकि तौर पर पिछड़े अभिभावकों को भी ऑन लाइन स्टडी में जरूरी संचार प्रक्रिया का प्राथमिक ज्ञान देने के लिए व्यवस्था करना आवश्यक हो गया है।
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डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स, सूचनाओं पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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