आईआईटीयंस ने covid-19 से लड़ने संभाला मोर्चा

IIT की नई खोजें विकास के विभन्न चरणों में हैं और अधिकृत सहमति के बाद इनके जनसुलभ होने की उम्मीद जताई जा रही है।
Covid-19 को समाप्त करने IIT की नई खोजें विकास के विभन्न चरणों में हैं।
Covid-19 को समाप्त करने IIT की नई खोजें विकास के विभन्न चरणों में हैं।Social Media
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हाइलाइट्स

  • कोविड से लड़ाई में आगे आईं IIT

  • कोरोना को हराने हथियार तैयार

  • ड्रोन से लेकर वैक्सीन पर रिसर्च

  • सॉफ्टवेयर से स्कैनिंग 5 सेकंड में

राज एक्सप्रेस। मद्रास और कानपुर के शोधकर्ताओं ने कोविड संक्रमण से निपटने निगरानी के लिए देसी ड्रोन बनाए हैं साथ ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) यानी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (IIT Kanpur) में कोविड-19 के इलाज के लिए वैक्सीन बनाने की दिशा में काम चल रहा है। इसी तरह IIT रोपड़ ने अस्पतालों के साथ ही क्वारंटाइन जोन में भोजन और दवाई वितरण के लिए रोबोट बनाया है।

जांच एवं परीक्षण :

IIT मद्रास में अस्पतालों और सार्वजनिक स्थान पर उपयोग के लिए पोर्टेबल टचलेस सैनिटाइजर डिस्पेंसर, फेस शील्ड्स (लगभग 1,000 दैनिक उत्पादन), वेंटिलेटर (दोनों अम्बु बैग-और फुल फ्लेग्ड प्रकार के) के साथ ही कोविड-19 स्क्रीनिंग परीक्षण पर तेजी से जांच एवं परीक्षण कार्य जारी हैं।

IIT की नई खोजें विकास के विभन्न चरणों में हैं और अधिकृत सहमति के बाद इनके जनसुलभ होने की उम्मीद जताई जा रही है। Covid-19 से भारत की जंग में सहयोग के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में नई खोज और अनुसंधान को दृष्टिगत रख व्यापक मंथन जारी है।

दिल्ली-खड़गपुर :

अन्य ईजादों में कम लागत वाले हज़मत सूट के साथ ही रियल टाईम कोविड-19 टेस्टिंग उपकरण, वेंटिलेटर्स और रैपिड डायग्नोस्टिक किट को खड़गपुर और दिल्ली IIT में विकसित किया गया है। गौरतलब है कि देश के शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजों ने एक महीने पहले घर में सैनिटाइटर और मास्क बनाने के साथ कोरोना से फाइट में मदद का काम शुरू किया था।

पेशेवर चिकित्सकों के लिए खड़गपुर में शोधकर्ता डायग्नोस्टिक किट, रियल-टाइम पीसीआर मशीन, मरीजों के लिए बॉडी सूट एवं हज़मत सूट की डिजाइन और विकास में तेजी दिखा रहे हैं। इसमें इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि उपयोगकर्ता को शुद्ध और ठंडी हवा प्राप्त हो सके।

खड़गपुर में ऑटोमेटेड वेंटिलेटर के लिए इम्प्रोवाइज़िंग सेल्फ-इंफ़्लेटिंग बैग्स, टेलिमेडिसिन और वैक्सीन के साथ ही टेस्टिंग के लिए रिकॉम्बिनैंट प्रोटींस का बड़े पैमाने पर द्रुत गति से उत्पादन किया जा रहा है।

आइसोलेशन वार्ड और परीक्षण प्रयोगशालाओं में हवा के माध्यम से रोग के प्रसार को रोकने के लिए आईआईटी रोपड़ निगेटिव प्रेशर रूम वाले एक कमरे को डिजाइन कर रहा है। यह मेडिकल स्टाफ को संक्रमित होने से बचाने में कारगर साबित होगा।

सरित कुमार दास, डायरेक्टर, आईआईटी रोपड़

रोपड़ संस्थान ने किराना सामग्री और दुग्ध पदार्थ को सैनिटाइज़ करने के लिए यूवी कीटाणुनाशक विकिरण तकनीक पर आधारित एक उपकरण तैयार किया है। खास बात यह है कि पुडुचेरी और करनाल (हरियाणा) में यह स्पेशल डिवाइस उपयोग भी की जा रही है।

वार्डबॉट :

IIT रोपड़ ने महामारी कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए वार्डबॉट के नाम से ऑटोनॉमस बॉट विकसित किया है। यह युक्ति एक कमरे से दूसरे कमरे में भोजन, दवा और उपकरणों का आदान-प्रदान करने में कारगर साबित होगी। इसके जरिये कोविड 19 संक्रमण की जद से बचने में कामयाबी मिल सकती है क्योंकि डिवाइस को रिमोट लोकेशन से नियंत्रित किया जा सकेगा।

IIT मद्रास :

संस्थान में अस्पतालों और सार्वजनिक स्थानों में उपयोग के लिए टचलेस पोर्टेबल सैनिटाइज़र डिस्पेंसर, फेस शील्ड्स (लगभग 1,000 प्रतिदिन उत्पादित), वेंटिलेटर (दोनों अम्बु बैग और पूर्ण विकसित प्रकार) एवं कोविड-19 स्क्रीनिंग टेस्ट पर खोज-निर्माण कार्य जारी है। मद्रास संस्थान की दीर्घकालिक परियोजनाओं में दवा वितरण के लिए ड्रोन प्रोजेक्ट खास है। जो नौ महीने के भीतर तैयार हो जाएगा। इसके साथ ही ह्यूमिडिफायर के साथ स्मार्टफोन ऐप-आधारित पोर्टेबल बैटरी संचालित एक वेंटिलेटर भी कोरोना से फाइट में कारगर साबित हो सकता है।

कानपुर का प्रोटोटाइप :

आईआईटी कानपुर में शोधकर्ताओं ने स्टार्टअप नोक्का (NOCCA) रोबोटिक्स के साथ मिलकर एक इनवेसिव वेंटीलेटर का प्रोटोटाइप विकसित किया है। इसको स्वीकृति मिलने पर भारत के अग्रणी निर्माताओं ने बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करने में उत्सुकता दिखाई है।

आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने कम लागत वाला वेंटिलेटर विकसित किया है। यह किफायती वेंटिलेटर स्थानीय घटकों का उपयोग करता है। साथ ही संस्थान में एक खास मशीन बनाने की दिशा में भी कार्य जारी है। यह मशीन ऑक्सीजन उत्पन्न करने में कारगर साबित होगी।

"इसका फायदा यह होगा कि मशीन में ऑक्सीजन को स्टोर करने की जरूरत नहीं है। ऐसे में स्टोरिंग के लिए महंगे और सीमित आपूर्ति के सिलेंडर पर निर्भरता भी समाप्त होगी।"

प्रो. मणींद्र अग्रवाल, आईआईटी, कानपुर

IIT कानपुर ने शहर के चयनित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने पुलिस के लिए मददगार ड्रोन तैयार किया है। इसके जरिए लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों का पता लगाने में मदद मिलेगी। इन स्पेशल ड्रोन्स की मदद से 15 किलोमीटर परिधि की निगरानी की जा सकेगी। यह ड्रोन उच्च क्वालिटी कैमरा और नाइट विज़न क्षमता से लैस है।

आईआईटी दिल्ली ने तीन परत वाले सर्जिकल मास्क के साथ ही अस्पतालों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए N95 फेस मास्क का निर्माण किया है। आईआईटी दिल्ली में एक स्टार्टअप के माध्यम से अस्पताल में पनपने वाले जीवाणु संक्रमण से सुरक्षा के लिए रोगाणुरोधक कपड़ा विकसित एवं उत्पादित किया गया है।

मात्र 5 सेकंड में स्कैन! :

आईआईटी प्रोफेसर ने एक्स-रे स्कैन का उपयोग करके 5 सेकंड के भीतर COVID-19 का पता लगाने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया है। IIT-रुड़की में सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर कमल जैन के मुताबिक सॉफ्टवेयर न केवल परीक्षण लागत को कम करेगा, बल्कि स्वास्थ्य पेशेवरों को संक्रमितों के संपर्क में आने के जोखिम को भी कम करेगा। हालांकि चिकित्सा संस्थान ने उनके दावे का फिलहाल सत्यापन नहीं किया है।

“मैंने 60,000 से अधिक एक्स-रे स्कैन का विश्लेषण करने के बाद पहले आर्टिफिशीयल इंटेलिजेंस आधारित डाटा तैयार किया। इसमें कोविड​​-19, निमोनिया और क्षय रोगियों के संक्रमण के बारे में जानकारी जुटाई गई ताकि इनके कारण मरीज की छाती पर पड़ने वाले अंतर को समझा जा सके।

प्रो. कमल जैन, सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, IIT-रुड़की (जैसा समाचार एजेंसी को बताया)

प्रोफेसर जैन को सॉफ्टवेयर विकसित करने में 40 दिनों से अधिक दिन का समय तक लगा। प्रोफेसर ने इसका एक पेटेंट दायर करने के साथ ही इसकी समीक्षा के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद से संपर्क किया है।

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