बड़ी जटिल है भारत में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया, जानिए कैसे होता है चुनाव?
राज एक्सप्रेस। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। जिसे देखते हुए चुनाव आयोग ने देश के अगले राष्ट्रपति को चुनने के लिए चुनावी प्रक्रिया का ऐलान कर दिया है। इसके तहत 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होगा और 21 जुलाई को नतीजों का ऐलान किया जाएगा।
कौन करता है राष्ट्रपति चुनाव में मतदान?
हमारे देश में राष्ट्रपति चुनाव में आम जनता को मतदान करने का अधिकार नहीं है। इस चुनाव में संसद के सदस्य और राज्यों के विधायक मतदान करते है। हालांकि राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत संसद सदस्यों और राज्यों की विधान परिषदों के सदस्यों को चुनाव में मतदान करने का अधिकार नहीं होता है।
क्या होती है विधायक के वोट की वैल्यू?
इस चुनाव में मतदान करने वाले हर विधायक और सांसद के वोट की वैल्यू होती है। इन विधायकों के वोट की वैल्यू जानने के लिए उसके राज्य की जनसंख्या को चुने गए विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है। इसके बाद जो नंबर आता उसे 1000 से भाग देते है। अब जो नंबर प्राप्त होता है वह विधायक के वोट की वैल्यू होती है। उदाहरण के लिए उत्तरप्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू 208 है, जबकि सिक्किम के एक विधायक के वोट की वैल्यू महज 7 है।
क्या होती है सांसद के वोट की वैल्यू?
इसी तरह सांसद के वोट की वैल्यू जानने के लिए देश के सभी विधायकों की वैल्यू को जोड़कर उसे राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों की संख्या से भाग दिया जाता है। इसके बाद जो नंबर प्राप्त होता है, वह एक सांसद के वोट की वैल्यू होती है।
कैसे होता है चुनाव का फैसला?
राष्ट्रपति चुनाव में उसी उम्मीदवार की जीत होती है, जिसे सांसदों और विधायकों के वोटों की कुल वैल्यू का आधे से ज्यादा हिस्सा हासिल हो। चुनाव में हिस्सा लेने वाले सदस्य बैलट पेपर पर राष्ट्रपति पद के लिए अपनी पहली, दूसरी और तीसरी पसंद बताते हैं। ऐसे में यदि पहली पसंद वाले वोटों से विजेता का फैसला नहीं होता है तो फिर दूसरी पसंद को नए सिंगल वोट की तरह ट्रांसफर किया जाता है।
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