संकट में हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री पद, जानिए क्या है मामला और क्या है विकल्प?
राज एक्सप्रेस। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी इस समय खतरे में नजर आ रही है। अब सभी की निगाहें झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस पर टिकी हुई हैं। चुनाव आयोग ने बंद लिफाफे में अपनी राय राज्यपाल को भेज दी है। राज्यपाल कभी भी हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता को लेकर फैसला ले सकते हैं। ऐसे में सबसे पहले हम जानते हैं कि आखिर यह पूरा मामला क्या है? और हेमंत सोरेन के सामने अब क्या-क्या विकल्प मौजूद हैं?
जानिए पूरा मामला :
दरअसल यह पूरा मामला अनगड़ा प्रखंड में 88 डेसमिल पत्थर खदान से जुड़ा हुआ है। हेमंत सोरेन पर आरोप है कि मुख्यमंत्री और खनन मंत्री रहते हुए उन्होंने पत्थर खदान की लीज अपने और अपने भाई के नाम पर आवंटित कर दी। भाजपा का कहना है कि चूंकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक सरकारी सेवक हैं, इसलिए लीज लेना गैरकानूनी है और यह लाभ के पद का मामला बनता है। चुनाव आयोग ने इस मामले में हेमंत सोरेन को दोषी करार दिया गया है और अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी है। अब मामले में आखिरी फैसला राज्यपाल को लेना है।
लाभ का पद क्या होता है?
दरअसल संविधान के अनुसार कोई सांसद अथवा विधायक, ऐसे किसी भी पद पर नहीं रह सकता है, जहां से उसे वेतन या भत्ते समेत अन्य कोई लाभ मिलता हो। ऐसी स्थिति में उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है।
हेमंत सोरेन के पास क्या विकल्प हैं?
अगर राज्यपाल हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करते हैं तो ऐसी स्थिति में हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर वापस से मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव राज्यपाल को दे सकते हैं। हेमंत सोरेन के पास बहुमत है, ऐसी स्थिति में राज्यपाल को उन्हें वापस मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलानी ही होगी।
अगर राज्यपाल हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने के साथ एक निश्चित समय के लिए उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा देते हैं तो ऐसी स्थिति में हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन या फिर किसी अन्य भरोसेमंद व्यक्ति को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप सकते हैं।
हेमंत सोरेन चाहे तो राज्यपाल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील भी कर सकते हैं।
अगर राज्यपाल हेमंत सोरेन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हैं तो हेमंत सोरेन आगे भी मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं।
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