पुलिस टीम ने आरोपियों के कब्जे से दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं।
मानेसर के साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया।
पूछताछ में सामने आए तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
चंडीगढ़, हरियाणा। हरियाणा पुलिस ने गुरुग्राम में साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए एक निजी बैंक के एक सहायक प्रबंधक और दो उप प्रबंधकों सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
गिरफ्तार किए गए लोगों ने कथित तौर पर ग्राहकों के बैंक खातों से संबंधित जानकारी साझा करते हुए साइबर अपराधियों के साथ सहयोग किया। पुलिस टीम ने आरोपियों के कब्जे से दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं।
पुलिस ने यह कार्रवाई मानेसर पुलिस स्टेशन में एक व्यक्ति द्वारा दर्ज की गई लिखित शिकायत के आधार पर की। शिकायत में कहा गया था कि नवंबर 2023 में, उसे किसी व्यक्ति ने फोन कर उसे उसका दोस्त देवेंद्र बताया और कहा कि उसका बेटा अस्पताल में भर्ती है और इलाज के लिए 10,000 रुपये ट्रांसफर करने का अनुरोध किया। शिकायतकर्ता ने रकम ट्रांसफर कर दी लेकिन बाद में उसे एहसास हुआ कि उसके साथ धोखा हुआ है। इसके बाद, मानेसर के साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया।
मानेसर में साइबर अपराध पुलिस स्टेशन के निरीक्षक संदीप अहलावत ने कार्रवाई करते हुए घटना में कथित तौर पर बैंक खाते उपलब्ध कराने में शामिल चार आरोपियों को गिरफ्तार किया।
आरोपियों की पहचान मोहित राठी, महेश कुमार, विश्वकर्मा मौर्य और हयात के रूप में हुई। राठी को 21 फरवरी को बिलासपुर (गुरुग्राम), महेश कुमार को 22 फरवरी को कलवागी गांव, विश्वकर्मा मौर्य को 26 फरवरी को मानेसर और हयात को मेवात से गिरफ्तार किया गया था।
उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान यह पता चला कि एमजी रोड गुरुग्राम पर एक निजी बैंक शाखा में कार्यरत मोहित राठी (सहायक प्रबंधक), महेश कुमार (उप प्रबंधक), और विश्वकर्मा मौर्य (उप प्रबंधक) ने हयात के माध्यम से मेवात में एक साइबर धोखाधड़ी मास्टरमाइंड के साथ मिलकर बैंक खाता उपलब्ध कराया। इस धोखाधड़ी के बदले में प्रति खाता 15,000 रुपये से 20,000 रुपये तक का शुल्क लिया जाता था।
आरोपी व्यक्तियों ने पहले हयात के माध्यम से साइबर अपराधियों को बैंक खाते उपलब्ध कराए थे और वर्तमान में उनसे सीधे संपर्क किया था।
उन्होंने बताया कि जिन बैंक खाते में साइबर अपराधियों द्वारा शिकायतकर्ता से पैसा स्थानांतरित किया गया था, वह इन व्यक्तियों द्वारा खोले गये थे और साइबर अपराधियों को उपलब्ध कराये गये थे। आरोपी सात महीने से बैंक में काम कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने लगभग दो हजार बैंक खाते खोले। यह पता लगाने के लिए जांच की जा रही है कि क्या इन सभी खातों का इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए किया गया था।
आरोपियों ने बिलासपुर क्षेत्र में स्थित कंपनियों में कर्मचारियों को गुमराह किया तथा उनके नाम पर बैंक खाते खोलने के लिए उनके दस्तावेज प्राप्त किए। इन खातों का उपयोग साइबर अपराधियों द्वारा किया गया।
उन्होंने बताया कि पुलिस टीम आरोपियों द्वारा खोले गए बैंक खातों का विवरण प्राप्त कर रही है और अन्य साथियों और घटनाओं के बारे में जानकारी उजागर करने के लिए गहन पूछताछ कर रही है। पूछताछ में सामने आए तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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