महाराष्ट्र को लेकर लोकसभा में सत्तापक्ष, विपक्ष में नोंकझोंक

सत्ता पक्ष ने सवाल उठाया कि आखिर एक मामूली सहायक उपनिरीक्षक को 100 करोड़ रुपए की वसूली करने को कहा गया तो पूरे महाराष्ट्र का क्या होगा?
महाराष्ट्र को लेकर लोकसभा में सत्तापक्ष, विपक्ष में नोंकझोंक
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राज एक्सप्रेस। लोकसभा में आज महाराष्ट्र की घटनाओं पर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक हुई। सत्ता पक्ष ने सवाल उठाया कि आखिर एक मामूली सहायक उपनिरीक्षक को 100 करोड़ रुपए की वसूली करने को कहा गया तो पूरे महाराष्ट्र का क्या होगा जबकि विपक्ष ने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार को गिराने की साजिश कर रहा है।

पीठासीन सभापति राजेन्द्र अग्रवाल ने प्रश्नकाल के बाद आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रीय ढांचागत विकास वित्त बैंक विधेयक 2021 पेश किया। तत्पश्चात श्री अग्रवाल ने शून्यकाल की घोषणा की।

भारतीय जनता पार्टी के कोटक महिन्द्रा ने महाराष्ट्र के मामले को उठाया और कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह के पत्र से खुलासा हुआ है कि महाराष्ट्र की सरकार किस प्रकार से एक सहायक उपनिरीक्षक स्तर के अधिकारी से 100 करोड़ रुपए की वसूली करा रही है। उन्होंने कहा कि यह बेहद चौंकाने वाली एक शर्मनाक बात है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।

भाजपा के ही राकेश सिंह ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और जब लोकतंत्र अधिकारियों के हाथों नीलाम होने लगे तो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर एक सहायक उपनिरीक्षक को 16 साल के निलंबन के बाद बहाल क्यों किया गया। पुलिस आयुक्त अब आरोप लगा रहे हैं कि सहायक उपनिरीक्षक को मुंंबई से 100 करोड़ रुपए की वसूली का लक्ष्य रखा गया था। राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता कल तक कह रहे थे कि कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन आज उनकी भाषा बदल गयी है। शायद उन्हें डर हो गया है कि कहीं गृह मंत्री खुलासा नहीं कर दें कि ये पैसा किस किस को मिलने वाला था।

श्री सिंह ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार मौन है कि आखिर एक एएसआई को सौ करोड़ की वसूली करने को क्यों कहा गया। मुख्यमंत्री सहित सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए तथा इस पूरे मामले की केन्द्रीय एजेंसियों से जांच कराने की जरूरत है। भाजपा के कपिल मोरेश्वर सावे ने भी कहा कि मुख्यमंत्री को पुलिस अधिकारी परमवीर सिंह का पत्र बहुत ही गंभीर मामला है। इसके बाद एक पूर्व पुलिस महानिदेशक ने भी पत्र लिखा है। इसलिए इस मुद्दे की गहरायी से जांच कराना जरूरी है।

इस पर शिवसेना के नेता विनायक राऊत ने कहा कि भाजपा लंबे समय से महाविकास अघाड़ी सरकार को गिराने की षड्यंत्र रचती रही है। इस मुद्दे को लेकर भी भाजपा की कपटनीति चल रही है। उन्होंने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त को बेहद भ्रष्ट एवं गलत चरित्र का व्यक्ति बताया और कहा कि उसे भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार लायी थी।

कांग्रेस के रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि यह बहुत अफसोस की बात है कि अधिकारियों के कारनामों को लेकर राजनीतिक नेता आपस में उलझ जाते हैं और भ्रष्ट्र अधिकारी बच कर निकल जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति केन्द्र एवं राज्यों दोनों जगह है। लेकिन इसका फायदा उठाकर राज्यों में केन्द्र के अधिकारी जायें और राज्य की सरकार को गिराने की कोशिश करें, तो उसका वह पूरा विरोध करेंगे।

निर्दलीय नवनीत सिंह राणा ने कहा कि परमवीर सिंह को तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस लाये थे और उन्होंने ही एएसआई सचिन वाजे को 16 साल के निलंबन के बाद ज्वाइन कराया था। भाजपा की पूनम महाजन ने कहा कि यह पता लगाना चाहिए कि महाराष्ट्र से कितनी वसूली करने की योजना थी। भाजपा के पी पी चौधरी ने कहा कि गृह मंत्री राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के हैं लेकिन शिवसेना को इतनी 'मिर्च' लग रही है।

डिस्क्लेमर : यह आर्टिकल न्यूज एजेंसी फीड के आधार पर प्रकाशित किया गया है। इसमें राज एक्सप्रेस द्वारा कोई संशोधन नहीं किया गया है।

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