साल 2002 में हुए गुजरात दंगे मामले में सभी आरोपी बरी, क्या था नरोदा गाम मामला?
राज एक्सप्रेस। साल 2002 में हुए गुजरात दंगे आज भी सभी को याद होंगे। इस मामले में गुजरात दंगे के दौरान हुए नरोदा गाम नरसंहार मामले (Naroda Gam Massacre Case) में सामने आए आरोपियों के के खिलाफ आज मामले में आज अहमदाबाद की एक स्पेशल कोर्ट में सुनवाई होनी थी। आज हुई सुनवाई के दौरान स्पेशल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
अहमदाबाद की एक स्पेशल कोर्ट में हुई सुनवाई :
दरअसल, साल 2002 में गुजरात दंगे के दौरान नरोदा गाव में हुए नरसंहार मामले के सभी आरोपियों को आज गुरुवार को अहमदाबाद की एक स्पेशल कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान बरी कर दिया गया है। यह फैसला आज जब सामने आया। बता दें, आरोपियों के नामों की इस लिस्ट में गुजरात की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी सहित 86 आरोपियों के नाम शामिल थे। हैरानी की बात यह है कि, 86 आरोपियों में से 18 मौत लोगों की तो अब तक मौत हो चुकी है।
गुजरात हाई कोर्ट ने दी थी राहत :
इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह को साल 2017 में सुश्री कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के तौर पर पेश किया गया था। इस मामले में आज कोर्ट के बाहर वकील ने कहा कि, 'सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. हम फैसले की प्रति का इंतजार कर रहे हैं।' इस मामले में कुल 97 लोगों की हत्या कि गई थी। मामले में आरोपी के तौर पर सामने आए लोगों को 28 साल की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, उन्हें बाद में गुजरात हाई कोर्ट ने राहत दे दी थी।
क्या था गुजरात का नरोदा गाम मामला ?
ज्ञात हो कि, यह मामला 28 फरवरी 2002 को, अहमदाबाद के नरोदा गाम क्षेत्र का था। नरोदा गाम में कुंभार वास नाम के एक इलाके के एक मुस्लिम क्षेत्र में भीड़ ने कई घरों में बिना किसी कारण आग लगा दी थी। जिसमें 11 मुसलमानों की जान चली गई थी। जबकि इस हादसे के ठीक एक दिन पहले यहां गोधरा ट्रेन जलाने का विरोध में हुए 'बंद' के दौरान 58 यात्री भी मारे गए थे। इन यात्रियों में ज्यादातर कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे। इसे बड़े सांप्रदायिक दंगों में शामिल किया गया था। जिसकी आज फाइनल सुनवाई हुई है।
लगाई गई थी यह धाराएं :
बाटते चलें, गुजरात दंगे में पाए गए आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी विधानसभा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस दंगा), 120 (बी) (आपराधिक साजिश) और 153 (दंगों के लिए उकसाना) के तहत कार्यवाही कि गई थी। जबकि, इन अपराधों के लिए मौत की सजा का प्रवधान है।
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