Gujarat Riots 2002 : प्रधानमंत्री मोदी को गुजरात दंगों में क्लीन चिट, जानिए क्या था पूरा मामला?
राज एक्सप्रेस। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 में हुए गुजरात दंगों में वर्तमान पीएम और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी व 63 अन्य लोगों को मिली क्लीन चिट को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका दंगों में मारे गए कांग्रेस नेता अहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री की ओर से दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट से पहले विशेष मजिस्ट्रेट कोर्ट और गुजरात उच्च न्यायालय भी ज़किया जाफ़री की याचिका को खारिज कर चुके हैं।
साजिश के सबूत नहीं :
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, ‘कुछ अधिकारियों की निष्क्रियता या विफलता को पूरी सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ साजिश नहीं कहा जा सकता है। इन आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं।’
क्या है मामला?
साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान 28 फरवरी को भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी पर हमला कर दिया था। इस हमले में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफ़री समेत कुल 69 लोगों की मौत हो गई थी। ज़किया जाफ़री का आरोप है कि उस समय उनके पति ने पुलिस और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें मदद नहीं मिली।
एसआईटी ने दी क्लीन चिट :
ज़किया ने साल 2006 में गुजरात पुलिस के महानिदेशक से नरेंद्र मोदी और कुल 63 लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने की मांग की थी, लेकिन उनकी अपील ठुकरा दी गई। इसके बाद ज़किया साल 2007 में गुजरात हाईकोर्ट पहुंची, लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई। साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने पहले से गठित एसआईटी को मामले की जाँच के आदेश दिए। इसके बाद एसआईटी ने साल 2012 में अहमदाबाद की निचली अदालत में अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि उन्हें नरेंद्र मोदी और 63 लोगों के खिलाफ साजिश के कोई सबूत नहीं मिले हैं।
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