राज एक्सप्रेस। देश के लोगों को घातक कोरोना वायरस के खतरे से बचाने के लिए सरकार द्वारा 21 दिन के लिए लॉकडाउन किया गया है, जिसका आज चौथा दिन है और अभी 17 दिन बाकी हैं, लेकिन यह लॉकडाउन घरों से बाहर रह रहे मजदूरों के लिए मुसीबत बना हुआ है, क्योंकि वे सड़कों पर आ गये हैं और घर वापसी के लिए बेताब हैं, यह उनके लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
बताया जा रहा है कि, जो मजदूर अपने राज्य से निकलकर दूसरे राज्यों में पैसा कमाने के लिए आए थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से ये अपने घरों से लगभग 300-400 किलोमीटर दूर हैं, जिससे वे काफी दुःखी हैं। यहाँ तक कि कुछ मजदूरों ने इस संकट की घड़ी में कोई बस, ट्रेन व कोई साधन न होने के बावजूद पैदल चलकर ही अपने घर तक जाने का निर्णय लिया और घर के लिए निकल गए।
इस बीच दिहाड़ी मजदूरों के इस फैसले व हालातों को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा कुछ अरेंजमेंट्स किए जाने का फैसला लिया गया। दिहाड़ी मजदूरों के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार उनकी मदद के लिए आगे आते हुए बसों को प्रोवाइड किया जा रहा है।
बता दें कि, देश के हित के लिए केंद्र सरकार द्वारा जो निर्णय लिया गया है, उससे दिहाड़ी मजदूर इसलिए दुःखी हैं, क्योंकि इन्हें कोरोना से ज्यादा भूखे मरने का डर है। इसी के चलते राज्य सरकार द्वारा एक बड़ा कदम उठाते हुए योगी सरकार ने यूपी बॉर्डर पर फंसे व दिल्ली-एनसीआर में फंसे मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए 1000 बसों की व्यवस्था की गईं। साथ ही यूपी के सभी 75 जिलों में मदद के लिए डीएम, एसपी को निर्देश जारी किए हैं।
दरअसल, योगी सरकार ने जो निर्देश दिए हैं, उसमें सभी लोगों को सुरक्षित घरों तक पहुंचाने की बात कही है। इसके अलावा मजदूरों की मदद के लिए 13.50 करोड़ रुपये की धनराशि भी जारी की गई है।
मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए विशेष बसें चलाने की खबर सामने आते ही आनंद विहार बस अड्डे तो वहीं गाजियाबाद के लाल कुआं स्थित बस अड्डे पर बेहाल मजदूरों की भीड़ उमड़ पड़ी, तो वहीं कुछ मजदूर सुबह से ही दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग इलाकों से घंटों पैदल चलकर आनंद विहार टर्मिनल पहुंचने लगे, ताकि अपने घर तक पहुँच सके। हालांकि, कुछ मजदूर ऐसे भी हैं, जो बिना किसी की आस किए एवं बिना किसी पर भरोसा कर पैदल ही जा रहे हैं।
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