कैफ़ी आज़मी पर गूगल-डूडल, क्या अब गूगल भी विरोध के घेरे में?

मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी के 101वें जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया। लोगों ने सवाल किया, क्या अब गूगल का भी विरोध करेंगे लोग?
कैफ़ी आज़मी के लिए बनाया गया गूगल डूडल
कैफ़ी आज़मी के लिए बनाया गया गूगल डूडलगूगल
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राज एक्सप्रेस। आज अमेरिकी सर्च इंजन गूगल ने डूडल बनाकर कैफ़ी आज़मी को याद किया है। वही कैफ़ी आज़मी जिन्होंने, 'कर चले हम फिदा जा-ओ-तन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों...' लिखा, जो सिर्फ अपनी रचनाओं में ही नहीं बल्कि अपने निजी जीवन में भी प्रगतिशील थे। आज उनका 101वां जन्मदिवस है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में 14 जनवरी 1919 को हुआ था।

कैफ़ी आज़मी का नाम अख्तर हुसैन रिज़वी था और उन्होंने 11 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी थी। वो कविता है-

"इतना तो जिंदगी में किसी की खलल पड़े हंसने से हो सुकूं ना रोने से कल पड़े, जिस तरह से हंस रहा हूं मैं पी-पी के अश्क-ए-गम यूं दूसरा हंसे तो कलेजा निकल पड़े"

उन्हें साहित्य में अपने योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। इसके साथ ही उन्हें साहित्य अकादमी फैलोशिप भी मिली है। फिल्म जगत में उन्हें कई बार फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाज़ा गया तो वहीं वे राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए। वे प्रगतिशील लेखक संघ के सदस्य भी रहे। उन्होंने शेर, शायरी, गीत और बॉलीवुड के लिए कई स्क्रीनप्ले भी लिखे। बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री शबाना आज़मी उनकी बेटी हैं।

सर्च इंजन गूगल ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा, "11 साल की उम्र में उन्होंने पहली कविता गजल की शैली में लिखी। महात्मा गांधी के 1942 के भारत छोड़ो स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरित होकर वह एक उर्दू अखबार के लिए लिखने के वास्ते बंबई चले गए थे। उन्होंने कविताओं का अपना पहला संग्रह ‘झंकार’ (1943) प्रकाशित किया और साथ ही प्रभावशाली प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) के सदस्य भी बन गए।"

उनके द्वारा गाया गया गीत 'कर चलें हम फिदा...' आज भी हर 15 अगस्त और 26 जनवरी के अवसर पर पूरे देश में सुनाई देता है। कैफ़ी ने प्रेम कविताएं भी लिखीं, एक्टिविस्टों के लिए नारे भी तैयार किए और बॉलीवुड के लिए सैकड़ों गाने भी लिखे।

वे महिलाओं के समानता के अधिकार के पक्षधर थे। उनकी एक नज़्म 'औरत' में वे इस बारे में पुरज़ोर तरीके से लिखते हैं। दैनिक भास्कर को दिए साक्षात्कार में कैफ़ी आज़मी के बेटे बाबा आज़मी बताते हैं कि, अब्बा ने कभी उन्हें कभी नहीं टोका। जब वे 18 साल के हुए तो कैफ़ी आज़मी ने कहा कि, 'बेटे जिंदगी में वो सब कुछ करो जिसमें तुम्हें खुशी मिलती हो, लेकिन एक चीज याद याद रखना कि सबमें अव्वल नंबर रहना। अगर तुम सड़क पर झाड़ू मारोगे तो भी मैं तुम्हारी इज्जत करूंगा पर कोशिश ये करना कि तुम उसमें अव्वल रहो।'

अपने करियर की शुरुआत में उन्होंने मुंबई में उर्दू जर्नल 'मजदूर मोहल्ला' का संपादन किया। यहीं उनकी मुलाकात शौकत से हुई। कुछ समय बाद दोनों ने पूरी जिंदगी एक साथ रहने का फैसला किया।

कैफ़ी आज़मी की बेटी शबाना आज़मी ने ट्वीट कर गूगल के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

उन्होंने कुछ दिन पहले 10 जनवरी को कैफ़ी आज़मी और फ़ैज़ को समानान्तर बताते हुए भी एक ट्वीट किया था। इससे पहले फ़ैज़ की एक नज़्म 'हम देखेंगे' को भारत में तत्कालीन समय में चल रहे विरोध-प्रदर्शनों में गाए जाने पर काफी बहस हुई। आईआईटी कानपुर ने इस पर जांच कमेटी भी बैठाई। यह जांच कमेटी उस शिकायत के बाद बैठाई गई जिसमें कहा गया कि फ़ैज़ की यह नज़्म हिन्दू विरोधी है।

भारत में दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम पास हुआ। जिसके बाद से इसके खिलाफ कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए सरकार के समर्थकों ने इस कानून के समर्थन में रैलियां निकालीं। सरकार कोशिशें कर रही है कि लोगों तक पहुंच कर उन्हें इसके बारे में अवगत कराए और निश्चिंत करें।

हालांकि, विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यह कानून भेदभावपूर्ण है और भारत के संविधान के मूल्यों की हत्या करता है। दिल्ली के शाहीन बाग में 15 दिसंबर 2019 से अनवरत धरना प्रदर्शन हो रहा है। वहीं इस बीच जेएनयू में 5 जनवरी 2020 को हिंसा हुई और उसके बाद बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण जेएनयूएसयू अध्यक्ष से मिलने पहुंचीं। दीपिका के जेएनयू पहुंचने से एक वर्ग नाराज़ हो गया और उनकी फिल्म छपाक का बहिष्कार करने लगा।

इसी तरह कई नाम लोगों को दिए जाने लगे, अर्बन नक्सल्स, टुकड़े-टुकड़े गैंग, देश विरोधी ताकतें, जेएनयू के बच्चों को पैरासाइट्स तक कहा गया। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने जब नागरिकता संशोधन कानून को बुरा बताया तो लोगों ने सोशल मीडिया पर दीपिका का बहिष्कार करने वाले लोगों से पूछा, क्या अब सत्या नडेला को अंतरराष्ट्रीय नक्सल कहा जाएगा? और क्या अब लोग माइक्रोसॉफ्ट का भी बहिष्कार करेंगे? उसी तरह जब गूगल ने क़ैफ़ी आज़मी को डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी तो लोगों ने पूछा, क्या अब गूगल का बहिष्कार करेंगे सरकार के समर्थक?

भारतीय यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय कैंपेन इन्चार्ज ने ट्वीट कर तजिंदर पाल सिंह बग्गा से कहा कि, सत्या नडेला के सीएए पर बयान के बाद तकनीक का ही बहिष्कार कर दिया जाना चाहिए।

वहीं एक ट्विटर यूज़र ने लिखा कि, गूगल ने डूडल बनाकर कैफ़ी आज़मी की 101वीं जयंती मनाई है, अब उम्मीद है कि लोग एक दिन के लिए गूगल इस्तेमाल नहीं करेंगे या शायद इसका बहिष्कार करें।

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