BBC डॉक्यूमेंट्री समेत इन मुद्दों पर विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया बड़ा बयान
दिल्ली, भारत। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने आज मंगलवार BBC डॉक्यूमेंट्री समेत कई मुद्दाें पर बातचीत के दौरान यह बयान दिया।
हमने 20 साल बाद इस समय पर लाने का फैसला किया :
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, किसी दूसरे माध्यम का इस्तेमाल कर राजनीति की जा रही है। आप किसी के मान सम्मान को धक्का पहुँचाने का काम कर रहे हैं और कहते हैं कि, ये सत्य के लिए केवल एक खोज है जिसे हमने 20 साल बाद इस समय पर लाने का फैसला किया है। आपको क्या लगता है कि ये (BBC डॉक्यूमेंट्री) अचानक आया है। मैं ये बताना चाहता हूं कि चुनाव का समय भारत और दिल्ली में शुरू हुआ हो या नहीं, लेकिन न्यूयॉर्क और लंदन में जरूर शुरू हो गया है।
कभी कहा जाता है कि सरकार रक्षात्मक है, कभी कहा जाता है कि सरकार उदार हो रही है। अगर हम उदार हैं तो LAC पर आर्मी को किसने भेजा? राहुल गांधी ने आर्मी को नहीं भेजा, नरेंद्र मोदी ने भेजा। मैं सबसे लंबे समय तक चीन का राजदूत रहा और बॉर्डर मु्द्दों को डील कर रहा था। मैं ये नहीं कहूंगा कि, मुझे सबसे अधिक ज्ञान है मगर मैं इतना कहूंगा कि मुझे इस (चीन) विषय पर काफी कुछ पता है। अगर उनको (राहुल गांधी) चीन पर ज्ञान होगा तो मैं उनसे भी सीखने के लिए तैयार हूं।
विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर
पाकिस्तान का भविष्य काफी हद तक उसकी कार्रवाई से तय होता है। मेरा मतलब है कि कोई भी अचानक ऐसी एक कठिन स्थिति में नहीं पहुंचता है। अब उन्हें इसके लिए रास्ता खुद खोजना है। आज हमारा संबंध वैसा नहीं है, जहां हम सीधे उस पर प्रासंगिक हो सकते हैं।
कई बार भारत में चल रही राजनीति यहां की नहीं बल्कि बाहर से आई होती है। विचार और एजेंडा बाहर से आए होते हैं। आप डॉक्यूमेंट्री ही बनाना चाहते हैं तो दिल्ली में 1984 में बहुत कुछ हुआ था। हमें उस विषय पर कोई डॉक्यूमेंट्री देखने को क्यों नहीं मिली? ये बस केवल एक राजनीति है, जो उन लोगों के द्वारा की जा रही है जिनमें राजनीतिक क्षेत्र में आने की ताकत नहीं है। वे खुद को बचाने के लिए कहते हैं कि हम एक NGO, मीडिया संगठन आदि हैं, लेकिन वे राजनीति कर रहे हैं।
ये समझना मुश्किल क्यों है कि, जो विचारधारा और राजनीतिक पार्टियां भारत के बाहर हैं, उससे मिलती जुलती विचारधारा और पार्टियां भारत के अंदर भी हैं और दोनों एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
ये कैबिनेट या सरकार (BJP) एक टीम कैबिनेट है इसमें हम अपने निर्णय नहीं ले सकते बल्कि पूरी टीम लेती है।जब मुझे मंत्री के रूप में चुना गया था तब मैं सांसद नहीं था और न ही कोई राजनीतिक पार्टी का सदस्य था मेरे पास विकल्प था कि मैं राजनीतिक पार्टी चुनूं या नहीं। मैंने इस पार्टी को इसलिए चुना क्योंकि ये पार्टी देश की भावनाओं को अच्छे से समझती है। आप जब कैबिनेट का हिस्सा होते हैं तो आपको बहुत कुछ जानने को मिलता है।
मेरे पिता सरकारी अधिकारी थे और वो 1979 में जनता सरकार में सचिव बने थे, लेकिन उन्हें सचिव पद से हटा दिया गया था। 1980 में वे रक्षा उत्पादन सचिव थे। जब इंदिरा गांधी दोबारा चुनी गईं थीं तब उन्होंने उनको पद से हटा दिया था। वे काफी ज्ञानी थे, शायद यही दिक्कत थी
प्रधानमंत्री ने मुझे कैबिनेट में शामिल होने के लिए कहा था। 2011 में मैंने उनसे बीजिंग में मुलाकात की थी, उससे पहले मैं उनसे कभी नहीं मिला था। जब वे CM (गुजरात) थे और वे उस समय वहां (चीन) दौरे पर गए थे। सच कहूं तो उन्होंने मुझ पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला था।
आज हमारा वैश्विक स्तर बहुत ऊंचा है। आज हम अपनी सोच, अभियान और विदेश नीति को लागू करने की रणनीति को लेकर पहले की तुलना में अधिक स्पष्ट हैं और ये होना भी चाहिए। आज वैश्विक मामलों पर वे (विश्व) जानना चाहते है कि भारत का क्या मानना है? ये वैश्विक मामले जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद का मुकाबला, ब्लैक मनी, सुरक्षा आदि कुछ भी हो सकता है। हम दुनिया को बहुत स्पष्ट रूप से प्रदर्शित कर चुके हैं कि, हम अंतरराष्ट्रीय शक्ति हैं। हम इस समय दूसरे देशों के लिए अन्य देशों की तुलना में अधिक काम करने के लिए तैयार हैं।
मैं बताना चाहता हूं कि, चीन ने 1962 में हमारी ज़मीन के एक टुकड़े पर कब्ज़ा कर लिया था और अब आप (विपक्ष) 2023 में मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि चीन उस ज़मीन पर ब्रिज बना रहा है जिस पर चीन ने 1962 में कब्ज़ा कर लिया था। सभी कहते हैं कि हमें सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना चाहिए तो आपने(कांग्रेस) ऐसा क्यों नहीं किया? मैंने सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट देखा। मोदी सरकार में बजट 5 गुणा बढ़ा है।2014 तक यह 3-4 हजार करोड़ था और आज यह 14 हजार करोड़ है।हमारी सरकार इसको लेकर गंभीर है।
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