Exclusive: तीन तलाक कानून के एक वर्ष पूर्ण, क्या बदलाव ला पाया यह कानून?

Teen Talaq : कानून बनने के बाद भी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा हुए तीन तलाक, मध्य प्रदेश देश में आठवें नबंर पर।
तीन तलाक कानून का एक वर्ष पूर्ण
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हाइलाइट्स :

  • मप्र में 35 साल में 22 हजार 833 महिलाओं को तीन तलाक

  • असम में सबसे कम केवल 17 तीन तलाक के मामले

राज एक्सप्रेस। तीन तलाक कानून (मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण) 2019 अस्तित्व में आने के ठीक एक साल बाद देश में उत्तर प्रदेश में कानून का भय दिखाई नहीं दिया। यहां एक साल की अवधि में सबसे अधिक 281 तीन तलाक के मामले पंजीकृत किए गए। जबकि मध्यप्रदेश में इस मामले में देश में आठवा नबंर है। बीते एक साल में मप्र में सिर्फ 32 तीन तलाक के मामले सामने आए हैं। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह कि असम में सबसे कम केवल 17 महिलाओं को तीन तलाक दिया गया। तीन तलाक कानून लागू होने के बाद से अब तक देश के 11 बड़े राज्यों में कुल 1039 तीन तलाके के मामले दर्ज हुए हैं।

तीन तलाक कानून (मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण) 2019 के महिलाओं को लड़ाई लड़ने की ताकत मिली है। मध्यप्रदेश में काफी सुधार देखा गया है। इस कानून ने ऐसे लोगों पर पाबंदी लगाई जो हर छोटी बात पर अपनी बेगम को तीन तलाक दे दिया करते थे। मप्र में इस कानून का काफी असर हुआ है जिसकी वजह से देश में मप्र तीन तलाक के ममाले में आठवें नंबर पर है और सिर्फ 32 मामले दर्ज हुए हैं।
नियाज मोहम्मद, पूर्व अध्यक्ष अल्पसंख्यक अयोग, मप्र

मस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने साल 2018 में तीन तलाक को पारित किया था। इस कानून को 1 अगस्त 2019 में राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद देश में लागू करने के बाद से अब तीन तलाक के मामलों में कमी तो आई है लेकिन उत्तरप्रदेश में अब भी देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक तीन तलाक के मामले सामने आ रहे हैं। उप्र में तीन तलाक के कानून का डर नहीं दिखाई दे रहा है। यहां कानून बनने के बाद से अब सबसे अधिक तीन तलाक 281 मामले दर्ज हुए हैं। उप्र में 2011 की जनगणना के अनुसार कुल 62,15377 मुस्लिम आबादी है। अब बढ़क़र लगभग 75 लाख से अधिक बताई जाती है।

मप्र देश में आठवें नंबर पर, सिर्फ 32 मामले :

मध्यप्रदेश के लिए यह संतोषजनक है कि तीन तालक कानून बनने के बाद से अब तक केवल 32 प्रकरण दर्ज हुए है। इससे पहले 35 साल में 1985 से 2019 तक कुल 22 हजार 833 महिलाओं को तीन तलाक की पीड़ा झेलनी पड़ी है। मप्र में 2011 की जनगणना के अनुसार कुल 47,74699 मुस्लिम अबादी रहती थी, जबकि अब यह बढ़कर करीब 50 लाख से अधिक होना बताया जाता है।

किस राज्य में कितने तीन तलाक हुए :

मध्यप्रदेश - 32

उत्तरप्रदेश - 281

आंध्रप्रदेश - 203

पश्चिम बंगाल - 201

महाराष्ट्र - 102

राजस्थान - 83

तमिलनाडू - 26

हरियाणा - 26

केरल - 19

असम - 17

..........................................

कुल - 1039

*नोट — सभी आंकड़े अल्पसंख्याक आयोग और पुलिस सोर्स

35 साल में तीन लाख 83 हजार तीन तलाक :

देश के 11 बड़े राज्यों में बीते 35 साल 1985 से 2019 तक कुल तीन लाख 83 हजार 14 तीन तलाक के मामले सामने आए थे। इसमें सबसे अधिक उत्तरप्रदेश में 63,400, आंध्रप्रदेश में 41,382,पश्चिम बंगाल में 51,800 , महाराष्ट्र में 39,200, राजस्थान में 33,172, तमिलनाडु में 21,200, हरियाणा में 29,201, केरल में 23,233, असम में 19,008 ,बिहार में 38,617 और मध्यप्रदेश में कुल 22,801 मामले हुए।

क्या है मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) कानून :

केंद्र सरकार ने सितंबर 2018 में सरकार ने तीन तलाक को प्रतिबंधित करने के लिए अध्यादेश जारी किया। बाद में लोकसभा और राज्यसभा में इस विधायक को पारित करवा लिया गया और अगस्त 2019 में राष्ट्रपति ने इस कानून को मंजूरी दी। इस कानून के तहत तीन तलाक के मामले को दंडनीय अपराध है। तीन तलाक देने वाले पति को अधिकतम 3 साल तक की सजा और जुर्माना का प्रावधान। अदालत का फैसला होने तक संतान मां के संरक्षण में रहेगी। इस दौरान पति को गुजारा भत्ता देना होगा। तीन तलाक की पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट द्वारा तय किए गए मुआवजे की भी हकदार होगी। पीड़िता, उसके रक्त संबंधी और विवाह से बने उसके संबंधी ही पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा सकते हैं। पति-पत्नी के बीच यदि किसी प्रकार का आपसी समझौता होता है तो पीड़िता अपने पति के खिलाफ दायर किया गया मामला वापस ले सकती है। मजिस्ट्रेट को पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद सुलह कराने और जमानत देने का अधिकार दिया गया है। मुकदमे से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है। मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर शादी बरकरार रखने का अधिकार है।

इनका कहना है :

मध्यप्रदेश में मुस्लिम समाज में पहले की अपेक्षा अब बहुत जागरूगता आई है। प्रदेश सरकार ने भी सभी के साथ मिलकर अच्छा काम किया है। कानून बनने के पहले भी अन्य राज्यों की तुलना में मप्र में तीन तलाके के मामले कम ही हुए है। कानून बनने के बाद एक साल 32 मामले सामने आए हैं यह काफी संतोषजनक है, उम्मीद है कि भाविष्य में मप्र में तीन तलाक का एक भी मामला न हो।
डॉ. सनवर पटेल, प्रदेश अध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा, भाजपा

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