कोविड-19 से गहराया रोजगार संकट

मार्च 2020 के दौरान रोजगार में गिरावट के साथ ही चिंताजनक रूप से बेरोजगारी में एक साथ समकालिक वृद्धि हुई।
कोरोना वायरस महामारी संक्रमण रोकने लागू लॉकडाउन के कारण काम ठप पड़ने से घरों को लौटते कामगार।
कोरोना वायरस महामारी संक्रमण रोकने लागू लॉकडाउन के कारण काम ठप पड़ने से घरों को लौटते कामगार।Social Media
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हाइलाइट्स :

  • CMIE के सर्वे में खुलासा

  • सर्वेक्षण में स्थिति चिंताजनक

  • तालाबंदी के बाद उपजी स्थिति

राज एक्सप्रेस। एक सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि कोरोनोवायरस लॉकडाउन के दौरान भारत की बेरोजगारी दर बढ़कर 23% से अधिक हो गई है। सर्वे के मुताबिक भारत में देशव्यापी तालाबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में नौकरियों का संकट गहराने से देश की बेरोजगारी दर में 23% तक का इजाफा हो सकता है। अचानक तालाबंदी के बाद प्रवासी कामगारों के घर की राह पकड़ने से यह स्थिति उपजी है।

CMIE का सर्वे :

भारतीय अर्थव्यवस्था का सर्वे करने वाली निजी संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट ने भारतीय अर्थव्यवस्था में नौकरियों के संकट से जुड़े खतरे की आशंका जताई है। संस्था के सर्वे के मुताबिक देशव्यापी तालाबंदी लागू होने के बाद मार्च के अंतिम सप्ताह के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में नौकरियों की कमी देखने को मिली। सर्वे में उल्लेख है कि लॉकडाउन के कारण भारत की बेरोजगारी दर 20% से अधिक हो सकती है।

टेलिफोनिक सर्वे :

CMIE के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, महेश व्यास ने लिखा है कि; 9,429 नमूनों के अवलोकन के बाद हासिल निष्कर्ष में पता चला है कि 5 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के लिए बेरोजगारी दर 23.4% रही। गौरतलब है निजी क्षेत्र के अनुसंधान समूह ने मार्च के अंतिम सप्ताह में अपने नियमित सर्वेक्षण को निलंबित करने के बाद टेलिफोनिक सर्वे का रास्ता अपनाया। CMIE ने फरवरी माह के 7.8% की तुलना में मार्च के पूरे महीने के लिए बेरोजगारी दर 8.7% होने का अनुमान लगाया है।

मार्च 2020 के श्रम संबंधी आंकड़े चिंताजनक हैं। ये बहुत बड़े बदलाव हैं और सामान्य सैंपलिंग त्रुटियों से जुड़े विषय के अधीन हैं।

महेश व्यास - मैनेजिंग डायरेक्टर एंड सीईओ, CMIE

सरकारी आंकड़े :

CMIE जिसका मासिक अनुमान के लिए सामान्य नमूना आकार 117,000 से अधिक व्यक्ति हैं, के अनुसार, यह स्पष्ट है कि मार्च 2020 के दौरान रोजगार में गिरावट के साथ ही चिंताजनक रूप से बेरोजगारी में एक साथ समकालिक वृद्धि हुई। गौरतलब है सरकार हर साल बेरोजगारी के आंकड़े प्रकाशित करती है। अंतिम रिपोर्ट, 2019 में जारी की गई जिसमें बेरोजगारी की दर 45 सालों के उच्च पर 6.1% रही।

लागू प्रतिबंधों के कारण बेरोजगारी दर बढ़ना ज्यादा चिंताजनक इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि भारत ही नहीं दुनिया के अधिकांश देशों की सरकारों ने जनहितार्थ अपने राष्ट्र में लॉकडाउन की घोषणा की है। कमोबेश यह संकट तालाबंदी करने वाले समस्त राष्ट्रों की समस्या है।

जानकार आशान्वित हैं कि पेंडेमिक नोवल कोरोना वायरस डिजीज के संकट से उबरने के बाद बेरोजगारी की समस्या से भी भारत जल्द उबर जाएगा। फिलहाल प्राथमिकता लोगों के प्राणों की रक्षा की होनी चाहिए, क्योंकि कहा भी गया है जान है तो जहान है।

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