बिजली इंजीनियरों ने की कोयला आयात संबंधी आदेश निरस्त करने की मांग
बिजली इंजीनियरों ने की कोयला आयात संबंधी आदेश निरस्त करने की मांगSocial Media

बिजली इंजीनियरों ने की कोयला आयात संबंधी आदेश निरस्त करने की मांग

आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर हस्तक्षेप करने की अपील की है, जिससे कोयला आयात करने के लिए जारी किए गए सभी निर्देश तत्काल निरस्त किये जा सके।
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लखनऊ। आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंगलवार को एक पत्र भेजकर हस्तक्षेप करने की अपील की है, जिससे केंद्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा राज्यों के बिजली घरों को 10 प्रतिशत कोयला आयात करने के लिए जारी किए गए सभी निर्देश तत्काल निरस्त किये जा सके। फेडरेशन ने प्रधानमंत्री को यह पत्र केंद्रीय कोयला मंत्री द्वारा 25 जुलाई को राज्यसभा में दिए गए एक लिखित उत्तर के बाद लिखा है, जिसमे कोयला मंत्री ने यह कहा है कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है और पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कोयले का उत्पादन 31 फीसदी बढ़ा है।

फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने प्रधानमंत्री को प्रेषित पत्र में लिखा है कि सात दिसंबर 2021 को केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने 10 प्रतिशत कोयला आयात करने की सलाह दी थी, जिसके बाद पिछली 28 अप्रैल को केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने राज्यों को कोयला आयात के लिये एक समयबद्ध निर्देश दिया कि कोयला आयात करना तुरंत प्रारंभ किया जाए और इसकी मात्रा का 50 प्रतिशत 30 जून तक, 40 प्रतिशत 31 अगस्त तक और शेष 10 फीसद 31 अक्टूबर तक आयात करना सुनिश्चित किया जाये।

इस निर्देश में यह भी लिखा गया है कि जो राज्य 15 जून तक कोयला आयात करना प्रारंभ नहीं करेंगे इनका घरेलू कोयले का आवंटन पांच प्रतिशत कम कर दिया जायेगा। शैलेन्द्र दुबे ने प्रधानमंत्री को प्रेषित पत्र में लिखा है कि 25 जुलाई को राज्यसभा में डॉक्टर सी एम रमेश के एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने साफ तौर पर कहा है कि देश में कोयले का कोई संकट नहीं है ।वर्ष 2021- 22 में 778.19 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ है, जबकि वर्ष 2020-21 में 716.083 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ था। इसी प्रकार चालू वित्तीय वर्ष में जून तक 204.876 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ जो इसी अवधि में पिछले वर्ष 156.11 मिलियन टन कोयले की तुलना में 31 प्रतिशत अधिक है। राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री द्वारा दिए गए इस लिखित उत्तर से स्पष्ट हो जाता है कि कोयले का कोई संकट न होते हुए भी राज्यों के बिजली घरों पर कोयला आयात करने का अनावश्यक तौर पर अनैतिक दबाव डाला गया।

दुबे ने कहा कि जहां घरेलू कोयले का मूल्य लगभग 2000 रु प्रति टन है, वहीं आयातित कोयले का मूल्य लगभग 20000 रु प्रति टन है, जिससे बिजली उत्पादन की लागत में लगभग एक रूपये प्रति यूनिट की वृद्धि होगी जिसे अन्तत: आम उपभोक्ताओं से ही वसूला जाएगा।

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