6 अगस्त को होगा उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव
6 अगस्त को होगा उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनावSyed Dabeer Hussain - RE

6 अगस्त को होगा उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव, जानिए क्या होती है प्रक्रिया ?

राष्ट्रपति चुनाव के बाद अब देश में उप राष्ट्रपति पद के लिए भी चुनाव होने जा रहा है। क्या आप जानते हैं कि भारत में उप राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? अगर नहीं! तो चलिए हम आपको बताते हैं।
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राज एक्सप्रेस। देश को द्रौपदी मुर्मू के रूप में नई राष्ट्रपति मिलने जा रही है। बीते दिनों हुए राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू ने यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से हराया। राष्ट्रपति चुनाव के बाद अब देश में उप राष्ट्रपति पद के लिए भी चुनाव होने जा रहा है। उप राष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए की ओर से बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया गया है जबकि यूपीए ने मार्गरेट अल्वा को उप राष्ट्रपति पद के लिए अपना प्रत्याशी नियुक्त किया है। उप राष्ट्रपति पद के लिए 6 अगस्त को वोटिंग होगी और उसी दिन रिजल्ट भी घोषित कर दिया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उप राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? और उप राष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रपति चुनाव से कितना अलग होता है? अगर नहीं! तो चलिए हम आपको बताते हैं।

सांसद ही करते हैं वोट :

उप राष्ट्रपति पद के चुनाव में संसद के दोनों सदनों के सदस्य मिलकर वोट करते हैं। एक सांसद केवल एक वोट दे सकता है। राष्ट्रपति चुनाव की तरह उप राष्ट्रपति के चुनाव में राज्यों की विधानसभा के सदस्य वोट नहीं देते हैं।

मनोनीत सदस्य भी करते हैं वोट :

राष्ट्रपति के चुनाव में दोनों सदनों के मनोनीत सांसद वोटिंग में हिस्सा नहीं लेते हैं, इसके उलट उप राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सांसद भी वोटिंग में हिस्सा लेते हैं।

कैसे होता है मतदान?

चुनाव में हर सांसद को मतदान के दौरान अपनी पसंद के उम्मीदवार के हिसाब से प्राथमिकता तय करना होती है। जैसे - पहली पसंद के उम्मीदवार को 1 नंबर जबकि दूसरी पसंद के उम्मीदवार को 2 नंबर। इसी तरह अगर दो से ज्यादा उम्मीदवार है तो उन्हें भी प्राथमिकता देनी होती है।

कैसे होती है गिनती?

अगर चुनाव में सिर्फ दो उम्मीदवार हैं तो जिस उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से अधिक पहली प्राथमिकता के वोट मिलते हैं, वह विजयी घोषित होता है। यदि दो से ज्यादा उम्मीदवार है और उनमें से किसी को भी 50 प्रतिशत से अधिक पहली प्राथमिकता के वोट नहीं मिलते हैं तो ऐसी स्थिति में सबसे कम पहली प्राथमिकता के वोट पाने वाले उम्मीदवार को रेस से बाहर कर दिया जाता है। इसके बाद उसे मिले वोटों को दूसरी प्राथमिकता वाले उम्मीदवारों को ट्रांसफर कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक किसी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से अधिक वोट ना मिल जाए।

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