Chaitra Navratri 5th Day: नवरात्रि का पांचवां दिन देवी स्कंदमाता को समर्पित
Chaitra Navratri 5th Day: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की आज रविवार को पंचमी तिथि है। नौ दिनों तक पूजे जाने वाले अलग-अलग स्वरूपों में से एक रूप माता स्कंदमाता का भी है, नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। इस दिन देवी स्कंदमाता की विधवत पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की पूजा करने से सभी कष्ट और दुःख दूर हो जाते है। इसके अलावा मान्यता है कि, सच्चे मन से देवी स्कंदमाता की पूजा करने वालो को मोक्ष मिलता है एवं संतान के सुख की प्राप्ती होती है।
नवरात्रि की पंचमी तिथि पर शुभ मुहूर्त :
चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि के शुभ मुहूर्त की बात करें तो हिंदू पंचांग के अनुसार, 25 मार्च को दोपहर 02 बजकर 53 मिनट से पंचमी तिथि का आरंभ हो गया है, जिसका समापन आज 26 मार्च को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट पर होगा। ऐसे में यह पूजा के ये शुभ मुहूर्त बताएं गए है- रवि योग दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से 27 मार्च को सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक रहेगा, इस योग में पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ पा सकता है।
स्कंदमाता की सच्चे व श्रद्धा से पूजा करने वाले भक्तों के लिए अनुग्रह और आशीर्वाद मिलता एवं उनकी कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उन्हें संतुष्टि मिलती है।
देवी स्कंदमाता का मंत्र :
स्तुति- या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
कवच पाठ- ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मधरापरा। हृदयम् पातु सा देवी कार्तिकेययुता।। श्री ह्रीं हुं ऐं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा। सर्वाङ्ग में सदा पातु स्कन्दमाता पुत्रप्रदा।। वाणवाणामृते हुं फट् बीज समन्विता। उत्तरस्या तथाग्ने च वारुणे नैॠतेअवतु।। इन्द्राणी भैरवी चैवासिताङ्गी च संहारिणी। सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै।।
स्कंदमाता का स्वरूप :
चार भुजाओं वाली मां स्कंदमाता का स्वरूप कुछ इस प्रकार है, उनके दो हाथ में कमल है, एक हाथ में कार्तिकेय बैठे हैं, जबकि एक हाथ में से वे आशीर्वाद दे रही हैं। स्कंदमाता को सिंहवाहिनी देवी भी कहा जाता है क्योंकि उनके वाहन पर एक सिंह बैठा होता है।
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