जल प्रदूषण निवारण और नियंत्रण संशोधन विधेयक 2024 को मिली राज्यसभा में मंजूरी

Water Amendment Bill 2024 : विधेयक में कहा है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को राज्य सरकार नामित करेगी और केंद्र सरकार अध्यक्ष के नामांकन के तरीके और सेवा शर्तों को निर्धारित करेगी।
Water Amendment Bill 2024 : जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव
Water Amendment Bill 2024 : जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव Raj Express
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Water Amendment Bill 2024 : दिल्ली। राज्यसभा ने जल प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए केन्द्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के गठन से संबंधित जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) संशोधन विधेयक 2024 को मंगलवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने विधेयक पर चर्चा के बाद कहा कि, यह विधेयक 1974 के जल अधिनियम में संशोधन करता है और इसमें देश के विकास में प्रतिरोधों को दूर करने का प्रयास किया गया है। विधेयक में कानून के उल्लंघन पर प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि,जुर्माने की राशि एक विशेष कोष में रखी जायेगी और इसका इस्तेमाल जल संरक्षण के लिए ही किया जायेगा। इस राशि में से 75 प्रतिशत राशि राज्यों को दी जायेगी। इसके प्रावधानों को पारदर्शी तरीके से लागू किया जायेगा। सीएम मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काफी पहले हर नागरिक को जल संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनने को कहा था और अमृत सरोवर की संकल्पना रखी थी। उन्होंने कहा कि सभी सांसदों ने 75 अमृत सरोवरों के लक्ष्य को पूरा किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जल संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।

नये विधेयक (Water Amendment Bill 2024) में कई उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से हटाकर इसके बदले जुर्माने की व्यवस्था की गयी है। यह शुरुआत में हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होगा। अन्य राज्य इस संबंध में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं। अधिनियम के अनुसार किसी भी उद्योग या उपचार संयंत्र की स्थापना के लिए राज्य प्रदूषण बोर्ड की पूर्व सहमति आवश्यक है, जिससे जल निकाय, सीवर या भूमि में सीवेज का निर्वहन होने की संभावना है। विधेयक में केंद्र सरकार बोर्ड की सहाल से, कुछ श्रेणियों के औद्योगिक संयंत्रों को ऐसी सहमति प्राप्त करने से छूट दे सकती है। विधेयक में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार राज्य प्रदूषण बोर्ड द्वारा दी गई सहमति को मंजूरी देने, अस्वीकार करने या रद्द करने के लिए दिशानिर्देश जारी कर सकती है।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहमति के बिना उद्योग स्थापित करने और संचालित करने पर 6 साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है। विधेयक इस सजा को बरकरार रखता है। यह जुर्माना दस हजार रुपये से 15 लाख रुपये के बीच होगा। विधेयक में कहा गया है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को राज्य सरकार द्वारा नामित किया जायेगा लेकिन केंद्र सरकार अध्यक्ष के नामांकन के तरीके और सेवा की शर्तों को निर्धारित करेगी।

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