राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली समिति ने राष्ट्रपति मुर्मू को सौंपी 18,626 पन्नों की रिपोर्ट

One Nation One Election Committee : 191 दिनों तक शोध और विशेषज्ञों समेत कई स्टेकहोल्डर्स से बातचीत और विचार विमर्श के बाद समिति ने रिपोर्ट तैयार की है।
One Nation One Election Committee
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हाइलाइट्स :

  • 2 सितंबर, 2023 को हुआ था समिति का गठन।

  • 2029 तक एक साथ चुनाव कराए जाने की अनुशंसा।

  • समिति ने संविधान संशोधन की भी की है सिफारिश।

One Nation One Election Committee : नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में 'एक देश एक चुनाव' को लेकर बनी उच्च स्तरीय समिति ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18,626 पन्नों की रिपोर्ट पेश की है। इस समिति का गठन 2 सितंबर, 2023 को हुआ था। 191 दिनों तक शोध और विशेषज्ञों समेत कई स्टेकहोल्डर्स से बातचीत और विचार विमर्श के बाद समिति ने रिपोर्ट तैयार की है। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द समिति ने साल 2029 तक एक साथ चुनाव कराए जाने की अनुशंसा की है।

गुरुवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की समिति के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी राष्ट्रपति भवन में मौजूद थे। इस समिति को देश में लोकसभा और राज्यसभा चुनाव एक साथ कराए जाने के लिए अनुशंसा प्रस्तुत करने को कहा गया था। केंद्र सरकार चुनाव में होने वाले अतिरिक्त व्यय को कम करने के लिए देश में एक साथ सभी चुनाव कराना चाहती है।

दो चरण में चुनाव कराने की सिफारिश :

एक देश एक चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति ने दो चरण में चुनाव कराने की सिफारिश की है। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि, पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के एक साथ चुनाव होंगे। इसके बाद दूसरे चरण में, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनावों को लोकसभा और विधान सभाओं के चुनावों के सौ दिनों के भीतर आयोजित किया जाएगा। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि, तीनों स्तरों के चुनावों में उपयोग के लिए एक ही मतदाता सूची और चुनावी फोटो पहचान पत्र (EPIC) होना चाहिए।

संविधान संशोधन की सिफारिश :

रिपोर्ट में दी गई प्रमुख सलाह में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के साथ साथ स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराए जाने के लिए जरूरी अनुशंसा की गई है। एकल वोटर लिस्ट और एकीकृत वोटर आईडी जारी करने को लेकर संविधान के अनुच्छेद 325 में संशोधन की बात भी कही गई है। देश की आजादी के कुछ सैलून तक चुनाव एक साथ ही होते थे। बाद में कुछ विधानसभाओं के भंग होने सरकार बनने गिरने के सिलसिले में लोकसभा और विधानसभा चुनाव आगे पीछे हो गए।

समिति के 8 सदस्य :

एक देश एक चुनाव कराये जाने के लिए गठित इस समिति में 8 सदस्यों को शामिल किया गया था। इन सदस्यों में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस नेता अधेड़ रंजन चौधरी, डीपीए पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद, 15 वे वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप, पूर्व सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हैं।

विपक्ष का स्टैंड :

भारत में एक देश एक चुनाव कराए जाने को लेकर विपक्ष पूरे तरह सरकार के खिलाफ है। कई मौकों पर कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि, एक देश एक चुनाव के पीछे सरकार की नीयत साफ़ नहीं है।

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