Swaminathan Report : स्वामीनाथन रिपोर्ट पर कितना सच, किसने क्या किया और बोला

Swaminathan Report : स्वामीनाथन रिपोर्ट की अनुशंसा को लागू करने न करने को लेकर केंद्र सरकार और कांग्रेस कई बार आमने - सामने आ गए हैं।
Farmers Protest -Swaminathan Report
Farmers Protest -Swaminathan Report Raj Express
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हाइलाइट्स :

  • 18 नवम्बर 2004 में हुआ था स्वामीनाथन आयोग का गठन।

  • साल 2004 से 2006 तक आयोग की पांच रिपोर्टें की गई थी प्रस्तुत।

  • किसी सरकार ने लागू नहीं किया MSP के लिए C2+ 50% फॉर्मूला।

Swaminathan Report : बीते 5 साल में कई बार देश में किसान संगठनों की तरफ से स्वामीनाथन रिपोर्ट के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित करने की मांग उठाई गई है। इसे लेकर बीते साल और अब फिर किसान लामबंद हो गए हैं किसान इस समय बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में है। इस बीच स्वामीनाथन रिपोर्ट की अनुशंसा को लागू करने न करने को लेकर केंद्र सरकार और कांग्रेस कई बार आमने - सामने आ गए हैं। दोनों तरफ से अलग-अलग बयान दिए जा रहे हैं। इन बयानों में कितना सच है और कितनी राजनीति?, जानिए इस रिपोर्ट में...।

दरअसल, स्वामीनाथन आयोग का गठन 18 नवम्बर 2004 में हुआ था। किसानों के हित में इसमें कई अनुशंसाएं की गई थी। दिसंबर 2004 से अक्टूबर 2006 की अवधि के दौरान पांच रिपोर्टें प्रस्तुत की गई थी। अंतिम रिपोर्ट किसान संकट के कारणों और किसान आत्महत्याओं में वृद्धि पर केंद्रित थी। इस रिपोर्ट में एक समग्र राष्ट्रीय नीति के माध्यम से किसानों के लिए कई सिफारिश की गई थी।

MSP पर C2+ 50% फॉर्मूला :

MSP को लेकर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि, सरकार को MSP को उत्पादन की औसत लागत से कम से कम 50% अधिक बढ़ाना चाहिए। इसे C2+ 50% फॉर्मूला के रूप में भी जाना जाता है। इसमें किसानों को 50% रिटर्न देने के लिए पूंजी की अनुमानित लागत और भूमि पर किराया (जिसे C2 कहा जाता है) शामिल है।

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के बाद कई सरकारें आई और गईं लेकिन आज तक किसी दल की सरकार ने MSP के लिए C2+ 50% फॉर्मूला लागू नहीं किया। सरकारों से MSP को लेकर अपनी मांग मंगवाने के लिए किसानों ने समय - समय पर प्रदर्शन किया है,लेकिन चुनाव में किसानों को वोट बैंक बनाकर चुनाव जितने वाली राजनीतिक पार्टियों ने सत्ता में आने के बाद इसे लागू करने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

आयोग की सिफारिश को सरकार ने नहीं किया स्वीकार :

साल 2010 में कृषि राज्य मंत्री केवी थॉमस ने प्रकाश जावड़ेकर द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में राज्यसभा में कहा था कि, "आयोग की सिफारिश को सरकार ने स्वीकार नहीं किया है,क्योंकि "एमएसपी की सिफारिश कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) द्वारा उद्देश्य मानदंडों के आधार पर विचार करते हुए की जाती है।" इसलिए, लागत पर कम से कम 50% की वृद्धि निर्धारित करना बाजार को विकृत कर सकता है। एमएसपी और उत्पादन की लागत के बीच एक यांत्रिक संबंध कुछ मामलों में प्रति-उत्पादक हो सकता है।"

स्वामीनाथन कमीशन के अनुसार MSP की गारंटी :

पिछले दिनों एक रैली के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि, "अगर उनकी सरकार बनती है तो वो किसानों को स्वामीनाथन कमीशन के अनुसार MSP की गारंटी देंगे। MSP पर कानूनी गारंटी किसानों के जीवन में 3 बड़े बदलाव लाएगी। फसल के सही दाम मिलने से किसान कर्ज़ की मुसीबत से छुटकारा पा जाएगा। कोई भी किसान आत्महत्या को मजबूर नहीं होगा। खेती मुनाफे का व्यवसाय होगा और किसान समृद्ध बनेगा और समृद्ध किसान देश की तक़दीर बदल देगा।"

UPA सरकार ने 175 सिफारिशें लागू की :

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बताया कि, मौजूदा केंद्र सरकार कहती है कि, 'स्वामीनाथन कमीशन' को कांग्रेस ने लागू नहीं किया है, लेकिन सच्चाई यह है कि स्वामीनाथन कमीशन में 201 सिफारिशें थी, जिसमें UPA सरकार 175 सिफारिशें लागू कर चुकी थी। उसमें 26 सिफारिशें बची थी, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण MSP से जुड़ी घोषणा 13 फरवरी 2024 को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी द्वारा कर दी गई है।

MSP पर स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसा लागू करवाने के लिए किसान वर्तमान केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार की तरफ से तीन केंद्रीय मंत्रियों को किसानों से बात करने के लिए भेजा गया था, लेकिन वार्ता सफल नहीं हुई है। सरकार के मंत्री अर्जुन मुंडा का कहना है कि, सरकार बात करने के लिए तैयार है हालांकि, कमीशन कीअनुशंसा लागू करने न करने पर अब तक केंद्र सरकार की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है।

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