हाइलाइट्स :
बाबा रामदेव और आचार्य बल कृष्ण को अदालत में पेश होने से छूट।
अदालत ने लाइसेंसिंग अथॉरिटी की निष्क्रियता पर भी उठाए सवाल।
Supreme Court Reprimands Uttarakhand Licensing Authority In Patanjali Case : दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में उत्तराखंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने लाइसेंसिंग अथॉरिटी की निष्क्रियता पर नाराजगी जताते हुए कहा कि, अब आप नींद से जागे। इस मामले में कोर्ट ने बाबा रामदेव और पतंजलि के MD आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी है। अदालत ने पतंजलि से माफीनामे की मूल कॉपी भी पेश करने को कहा है।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने पतंजलि को भ्रामक विज्ञापन के लिए माफी सहित अखबार के पन्ने की मूल प्रति दाखिल करने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा, माफीनामे की ई-फाइलिंग और कागजों की कटिंग नहीं चलेगी। कोर्ट ने इस दलील पर भी आपत्ति जताई है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अध्यक्ष ने "आईएमए पर उंगली उठाने" के लिए सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए मीडिया साक्षात्कार दिया। कोर्ट ने कहा कि भविष्य की कार्रवाई पर निर्णय लेने के लिए साक्षात्कार को रिकॉर्ड पर रखा जाए।
कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा दायर हलफनामे की आलोचना की, कहा कि ऐसा लगता है कि प्राधिकरण अदालत के आदेशों के बाद ही जागा है। कहते हैं कि प्राधिकरण से स्वयं मेहनती होने की अपेक्षा की जाती है।
पतंजलि के 14 प्रोडट्स का लाइसेंस समाप्त :
उत्तराखंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, पतंजलि और उसकी सहयोगी कंपनी दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के लाइसेंस 15 अप्रैल को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिए गए हैं। जिसके जवाब में कोर्ट ने कहा, अब आप नींद से जाग गए है।
पिछले नौ महीनों से क्या कर रहे थे ?
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, उत्तराखंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी द्वारा की गई कार्रवाई से पता चलता है कि, "एक बार जब आप कुछ करना चाहते हैं, तो आप इसे बिजली की गति से करते हैं, लेकिन यदि आप नहीं करते हैं, तो वर्षों तक कुछ भी नहीं होता है। तीन दिनों में, आपने सभी कार्रवाई कर दी। आप पिछले नौ महीनों से क्या कर रहे थे?कार्यभार संभालने के बाद से, आखिरकार, आपको एहसास हुआ कि आपके पास शक्ति और जिम्मेदारियां हैं।"
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