SC ने 30 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में नाबालिग रेप पीड़िता को दी Abortion की इजाजत

Supreme Court Gives Permission For Abortion To Minor Rape Victim : 19 अप्रैल को कोर्ट में इस मामले में तत्काल सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद नाबालिग का मेडिकल कराने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग रेप पीड़िता को दी Abortion की इजाजत
सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग रेप पीड़िता को दी Abortion की इजाजतRaj Express
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हाइलाइट्स :

  • हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ लगाई गई थी याचिका।

  • अबॉर्शन की प्रक्रिया का सारा खर्च राज्य करेगा वहन।

Supreme Court Gives Permission For Abortion To Minor Rape Victim : दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 30 हफ्ते की प्रेग्नेंट नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भपात (Abortion) की इजाजत दे दी है। उच्च न्यायालय द्वारा राहत देने से इनकार करने के बाद पीड़िता की मां ने शीर्ष अदालत का रुख किया था। कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए यह आदेश दिया है। 19 अप्रैल को कोर्ट में इस मामले में तत्काल सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने मेडिकल कराने का आदेश दिया था। रिपोर्ट्स को ध्यान में रखते हुए अदालत ने नाबालिग को गर्भपात कराने की इजाजत दे दी है।

हाई कोर्ट ने गर्भपात से इनकार करते हुए जेजे अस्पताल की रिपोर्ट पर भरोसा किया था। सायन अस्पताल के तत्वावधान में एक नया मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया गया था। लोकमान्य तिलक म्युनिसिपल जनरल हॉस्पिटल, सायन के डीन द्वारा एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। नाबालिग की जांच डीन द्वारा गठित 6 डॉक्टरों की टीम ने की थी।

जीवन के लिए खतरा पूर्ण अवधि के प्रसव के जोखिम से अधिक नहीं :

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई की। सायन अस्पताल के मेडिकल बोर्ड ने राय दी कि, गर्भावस्था के MTP की अनुमति दी जानी चाहिए। यौन उत्पीड़न के परिणामस्वरूप नाबालिग गर्भवती हुई थी। नाबालिग को खुद पता नहीं था कि, वह गर्भवती थी, सायन में मेडिकल बोर्ड यह राय दी गई है कि, नाबालिग की इच्छा के विरुद्ध गर्भावस्था जारी रखने से नाबालिग की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है जबकि अबॉर्शन में कुछ जोखिम भी शामिल है। मेडिकल बोर्ड ने राय दी कि, जीवन के लिए खतरा पूर्ण अवधि के प्रसव के जोखिम से अधिक नहीं है।

मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने नाबालिग के कल्याण को ध्यान में रखते हुए हम आदेश पारित किया। आदेश की प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं :

  • लोकमान्य तिलक नगरपालिका सामान्य अस्पताल के डीन नाबालिग की गर्भावस्था की चिकित्सीय समाप्ति करने के लिए एक टीम का गठन करेंगे जिसके संबंध में चिकित्सा रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी।

  • परिवहन की समान व्यवस्था उपलब्ध करायी जायेगी।

  • प्रक्रिया का सारा खर्च राज्य उठाएगा।

  • समाप्ति के बाद यदि किसी चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता हो तो इसे नाबालिग के हित में सुनिश्चित किया जा सकता है।

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