हाइलाइट्स :
हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ लगाई गई थी याचिका।
पश्चिम बंगाल सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने पूछे कई सवाल।
संदेशखाली यौन हिंसा की जाँच कर रही है सीबीआई।
Sandeshkhali Case : दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखाली ममाले की जांच जुलाई तक स्थगित कर दी है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि, चुनाव के बाद इस मामले की सुनवाई करना उचित होगा। पश्चिम बंगाल सरकार ने सीबीआई जांच के निर्देश देने वाले कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती देने पर कोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं। जस्टिस बीआर गवई और संदीप मेहता की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
न्यायमूर्ति गवई ने मामले की सुनवाई के बाद कहा, राज्य को एक निजी व्यक्ति के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही सीबीआई के खिलाफ एसएलपी (SLP) क्यों दायर करनी चाहिए? चुनाव के बाद याचिका पर सुनवाई अधिक अनुकूल होगी।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने संदेशखाली मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इस मामले में टीएमसी का निलंबित नेता शेख शाहजहां, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार आरोपी हैं। पिछली सुनवाई (4 अप्रैल 2024) के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। संदेशखाली में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और जमीन हथियाने के मामले की जांच करवाने के मामले में कोर्ट में कई याचिका लगाई गई थी। कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार ने याचिका लगाई थी।
कलकत्ता हाई कोर्ट में वकील प्रियंका टिबरेवाल ने जनहित याचिका लगाकर जांच को अदालत की निगरानी वाले आयोग को स्थानांतरित करने की मांग की थी जबकि एक अन्य वकील ने जांच को सीबीआई को सौंपने की मांग की है। प्रियंका टिबरेवाल ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि, उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अपने सहयोगियों के साथ प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था, और उन्हें कई महिलाओं से शिकायतें मिली थीं, जो पुलिस के पास जाने से डरती थीं, लेकिन क्षेत्र में सत्तारूढ़ व्यवस्था के खिलाफ अपनी आपत्तियां व्यक्त करना चाहती थीं। उन्होंने यौन हिंसा से प्रभावित महिलाओं के हलफनामे अदालत के सामने रखे और कहा, "अगर वे साबित कर दें कि एक भी हलफनामा गलत है, तो मैं अपनी प्रैक्टिस हमेशा के लिए छोड़ दूंगी।"
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