'दीक्षांत शब्द का उपयोग पहली बार तैत्तिरीय उपनिषद में हुआ था': राजनाथ सिंह
नई दिल्ली, भारत। आज शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय का 98वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हाईब्रिड आयोजन हुआ। भीड़ न उमड़े, इसके लिए दीक्षा समारोह का आनलाइन प्रसारण भी किया गया। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) समारोह के मुख्य अतिथि रहे।
रक्षा मंत्री ने किया दिल्ली विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित:
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय के 98वें वार्षिक दीक्षांत समारोह (Delhi University 98th Convocation Today) को संबोधित किया। राजनाथ सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 98वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, दीक्षांत शब्द का उपयोग पहली बार तैत्तिरीय उपनिषद में हुआ था।
राजनाथ सिंह ने कही यह बात:
दिल्ली विश्वविद्यालय के 98वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "दीक्षांत शब्द का उपयोग पहली बार तैत्तिरीय उपनिषद में हुआ था। शिक्षा का अर्थ ज्ञान और संस्कारों से होता है और मेरे जैसा व्यक्ति मानता है कि, जीवन में ज्ञान से ज्यादा अहमियत अगर किसी चीज की है, तो संस्कारों की है।"
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि, "हम भारत को शक्तिमान, धनवान, ज्ञानवान और संस्कारवान बनाना चाहते हैं, हमारी शक्ति दुनिया को डराने के लिए नहीं बल्कि विश्व कल्याण के लिए है। भारत ने आज तक दुनिया के किसी देश पर न आक्रमण किया और न दुनिया के देश में 1 इंच जमीन पर कब्जा किया है। ये हमारा चरित्र है।"
उन्होंने आगे कहा, "मेरे युवा साथियों हमें यह याद रखना चाहिए कि, आज का यह समारोह दीक्षांत समारोह है, शिक्षांत समारोह नहीं। मेरा तो यह मानना है कि, दीक्षांत के बाद असली शिक्षा की शुरूआत होती है और शिक्षा एक ऐसा सफर है जो सारी जिंदगी चलता रहता है। ऐसा नहीं है कि, ज्ञान-विज्ञान की दुनिया में हमारे विश्वविद्यालयों की भूमिका नहीं है, agriculture से लेकर engineering, medical और IT sector में हमारी universities और कॉलेजों ने कई बड़े मुकाम हासिल किए हैं।"
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