हाइलाइट्स :
राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स के विशेष सत्र को संबोधित किया
भारत और अमेरिका, दोनों विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं: राजनाथ सिंह
दिल्ली, भारत। नई दिल्ली में आयोजित इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स के विशेष सत्र में रक्षा मंत्री राजनाथ शामिल हुए और सत्र को संबोधित कर कहा है कि, भारत और अमेरिका, दोनों विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। भारत और अमेरिका एक फ्री, ऑपन और rules based इंटरनेशनल ऑडर के समर्थक हैं। इसके चलते हमारे strategic interests में काफी alignment है। साथ ही हमारी economic relationship, दोनों देशों के लिए win-win proposition है।
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा- हम वर्तमान भारत-अमेरिका संबंधों पर गौर करें तो हम पाएँगे कि भारत-अमेरिका संबंधों की मज़बूती से हम दोनों ही देशों के परस्पर business interest और सिक्योरिटी तथा defence से संबंधित हमारे interests को साधने में हमारे प्रयासों को मज़बूती मिलती। जहाँ तक बिजनेस एंड कॉमर्स की बात है, तो भारत, दुनिया की fastest growing major economy है, जिसने 2047 तक एक developed country बनने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए हमें काफी बड़ी मात्रा में capital and technological know-how की जरूरत है, जिसमें USA हमारी मदद कर सकता है। हमारी हाई इकोनॉमी ग्रोथ यह सुनिश्चित करेगी, कि जो भी अमेरिकन investment या कोलैबोरेशन भारत में आता है, उसका बहुत हाई रिर्टन हमारे अमेरिकन partners को मिले।
भारत की तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था, हमारा demographic dividend, हमारी skilled labour force, हमारी MSMEs, हमारे vibrant start-ups, हमारे energetic entrepreneurs, और हमारा बहुत बड़ा domestic market; ये सारी चीज़े मिलकर American companies तथा investors को high return की guarantee देती है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
भारत की तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था, हमारा जनसांख्यिकीय विभाजन, हमारा कुशल श्रम बल, हमारी MSMEs, हमारे vibrant start-ups, हमारे energetic entrepreneurs, और हमारा बहुत बड़ा domestic मार्केट; ये सारी चीज़े मिलकर American companies तथा investors को हाई रिटर्न की गारंटी देती है।
एक और महत्वपूर्ण बात है, जिसका मैं जिक्र करना चाहूँगा। हाई रिटर्न के साथ-साथ, मेरे अमेरिकन फ्रेंड्स को, भारत में इंवेस्टमेंट या collaboration करने से de-risking का भी लाभ मिलेगा। नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को जो चुनौती मिल रही हैं, उन challenges को फेस करने, तथा strategic autonomy को maintain करने के लिए यह जरूरी होगा, कि हमारे अमेरिकन बिजनेस, इंडिया में इंवेस्ट और collaborate करके, de-risking करें।
वर्तमान में जिस तरह का ग्लोबल geo-political climate है, उसे देखते हुए यह आवश्यक हो जाता है, कि भारत और अमेरिका, दोनों ही natural partners, एक साथ मिलकर business और strategic sector, दोनों ही क्षेत्रों में आगे बढ़ें। आप देखें, तो 50 से 60 के दशक में भारत और अमेरिका के वेल्यू तो लगभग एक जैसे ही थे। हम तब भी Democratic countries थे, हम तब भी मानव अधिकारों का सम्मान करते थे, हम तब भी rule of law के पक्षधर थे। लेकिन, cold war की geopolitical realities की वजह से, कहीं न कहीं एक ऐसा perception बन गया, कि हमारे interests aligned नहीं हैं। इसलिए हमारे संबंधों में वह गहराई नहीं आ पाई, जो आनी चाहिए थी।
पिछले 2-3 दशकों में जिस तरह से माहौल बदला है, उसमें यह बात और मजबूत होकर सामने आई है कि हमारे values तो similar हैं ही, लेकिन वर्तमान की geopolitics, तथा भविष्य के हिसाब से यदि देखें, तो हमारे interest भी aligned हैं।
आज भारत में वह सारी चीजें मौजूद हैं, तथा उन सारी चीजों पर काम हो रहा है, जो हमारे संबंधों को समग्रता में और मजबूत बनाने की दिशा में कारगर सिद्ध हो सकती हैं। मुझे विश्वास है, कि India-US कोलैबोरेशन में, हमारे सिक्योरिटी एंड प्रोस्पेरिटी के साझा उद्देश्यों को साकार करने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
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