गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश उत्सव में भाग लिया प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने

प्रधानमंत्री ने गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश उत्सव के अवसर पर 400 रुपए मूल्य का एक स्मारक सिक्का तथा 25 रुपए मूल्य का डाक टिकट जारी किया।
गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश उत्सव में भाग लिया मोदी ने
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नई दिल्ली। राजधानी के लालकिले में गुरुवार को सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व समारोह को अपूर्व उत्साह, श्रद्धा एवं उल्लास से मनाया गया। केन्द्र सरकार द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सहयोग से आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिरकत, केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी, जी किशन रेड्डी, अर्जुनराम मेघवाल, देवसिंह चौहान, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रधान सरदार हरमीत सिंह कालका, पूर्व अध्यक्ष सरदार मनिन्दरजीत सिंह सिरसा भी उपस्थित थे।

जिस लालकिले में गुरु तेग बहादुर को मौत का फरमान सुनाया गया था और जहां गुरु तेग बहादुर का बलिदान हुआ। उसी स्थान पर उनके 400वें प्रकाश पर्व का भव्य उत्सव में शामिल होकर सिख समुदाय के लोग भावव्रिवल दिखे।

कार्यक्रम में सरदार हरमीत सिंह कालका ने प्रधानमंत्री को शाल ओढ़ा कर एवं सरोपा भेंट करके स्वागत किया। पंजाब सरकार में पर्यटन मंत्री सरदार हरजोत सिंह बैंस ने प्रधानमंत्री को अमृतसर स्थित दरबार साहिब स्वर्ण मंदिर की प्रतिकृति भेंट की।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर 400 रुपए मूल्य का एक स्मारक सिक्का तथा 25 रुपए मूल्य का डाक टिकट जारी किया। देश के विभिन्न हिस्सों से रागी और बच्चों ने वाद्य यंत्रों के साथ 'शबद कीर्तन' प्रस्तुत किया।

दो दिन चलने वाले इस कार्यक्रम में गुरु तेग बहादुर जी के जीवन को दर्शाने वाला एक भव्य लाइट एंड साउंड शो भी होगा। इसके अलावा सिखों की पारंपरिक मार्शल आर्ट 'गतका' का भी आयोजन किया जाएगा।

यह कार्यक्रम नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर जी के उपदेशों को रेखांकित करने पर केंद्रित है। गुरु तेग बहादुर जी ने विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। उन्हें मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर कश्मीरी पंडितों की धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करने के लिए मार डाला गया था। उनकी पुण्यतिथि 24 नवंबर हर साल शहीदी दिवस के रूप में मनाई जाती है। दिल्ली में गुरुद्वारा सीसगंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज उनके पवित्र बलिदान से जुड़े हैं। उनकी विरासत इस राष्ट्र के लिए एकजुटता की एक महान शक्ति के रूप में कार्य करती है।

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