हाइलाइट्स :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'परीक्षा पे चर्चा' का 7वां संस्करण
PM मोदी ने दबाव का सामना करने की क्षमता पर दिया जोर
हमें किसी भी प्रेशर को झेलने के लिए खुद को सामर्थ्यवान बनाना चाहिए: PM मोदी
Pariksha Pe Charcha 2024: दिल्ली के भारत मंडपम में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'परीक्षा पे चर्चा' के 7वें संस्करण में शामिल हुए और कार्यक्रम के दौरान छात्रों को संबोधित किया। इस मौके पर PM मोदी द्वारा छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ प्रेरणादायक संवाद में महत्वपूर्ण जीवनोपयोगी टिप्स देने के साथ ही दबाव का सामना करने की क्षमता पर जोर दिया।
दबाव को हमें अपने मन की स्थिति से जीतना जरूरी :
भारत मंडपम में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम के दौरान छात्रों को संबोधित कर कहा- हमें किसी भी प्रेशर को झेलने के लिए खुद को सामर्थ्यवान बनाना चाहिए। दबाव को हमें अपने मन की स्थिति से जीतना जरूरी है। किसी भी प्रकार की बात हो, हमें परिवार में भी चर्चा करनी चाहिए। दबाव इतना भी नहीं होना चाहिए कि उसका असर किसी की क्षमताओं पर पड़े। हमें किसी भी प्रक्रिया को चरम सीमा तक नहीं खींचना चाहिए, बल्कि धीरे-धीरे विकास करना चाहिए। माता-पिता, शिक्षकों या रिश्तेदारों द्वारा समय-समय पर नकारात्मक तुलना की जाने वाली 'रनिंग कमेंटरी' छात्र के मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह फायदे से ज्यादा नुकसान करता है। हमें छात्रों के साथ उचित और हार्दिक बातचीत के माध्यम से मुद्दे का समाधान सुनिश्चित करना चाहिए, न कि शत्रुतापूर्ण तुलनाओं और बातचीत के माध्यम से उनके मनोबल और आत्मविश्वास को कम करना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आप उस स्थान पर आए हैं, जहां भारत मंडपम के प्रारंभ में दुनिया के सभी बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं ने दो दिन बैठकर विश्व के भविष्य की चर्चा की थी। और आज आप भारत के भविष्य की चिंता अपनी परीक्षाओं की चिंताओं के साथ-साथ करने वाले हैं। एक प्रकार से परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम मेरे लिए भी परीक्षा होता है। आपमें से बहुत से लोग हैं जो हो सकता है मेरी परीक्षा लेना चाहते हों। परीक्षा पे चर्चा का ये सांतवा एपिसोड है। ये प्रश्न हर बार आया है और अलग-अलग तरीके से आया है। इसका मतलब ये है कि सात सालों में सात अलग-अलग बैच इन परिस्थितियों से गुजरे हैं और हर नए बैच को भी इन्हीं समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। विद्यार्थियों के बैच बदलते हैं लेकिन शिक्षकों के बैच नहीं बदलते। यदि शिक्षकों ने मेरे अब तक के एपिसोड्स की बातों का कुछ न कुछ अपने स्कूल में संबोधन किया हो तो शायद हम इस समस्या को धीरे-धीरे कम कर सकते हैं।"
PM मोदी द्वारा बताए गए जीवनोपयोगी टिप्स पर एक नजर-
किसी भी शिक्षक के मन में जब ये विचार आता है कि मैं छात्र के इस तनाव को कैसे दूर करूं? अगर शिक्षक और छात्र का नाता परीक्षा के कालखंड का है तो सबसे पहले वो नाता सही करना चाहिए। छात्र के साथ आपका नाता पहले दिन से परीक्षा आने तक निरंतर बढ़ते रहना चाहिए तो शायद परीक्षा के दिनों में तनाव की नौबत ही नहीं आएगी।
आज मोबाइल का जमाना है... क्या कभी किसी छात्र ने आपको फोन किया है? जिस दिन आप पाठ्यक्रम से आगे निकलकर उससे नाता जोड़ोगे तो वो अपनी छोटी-मोटी समस्याओं में भी आपसे अपनी मन की बात करेगा।
बच्चों के तनाव को कम करने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। इसलिए शिक्षक और छात्रों के बीच हमेशा सकारात्मक रिश्ता रहना चाहिए। शिक्षक का काम सिर्फ जॉब करना नहीं, बल्कि जिंदगी को संवारना है, जिंदगी को सामर्थ्य देना है, यही परिवर्तन लाता है। परीक्षा के तनाव को विद्यार्थियों के साथ-साथ पूरे परिवार और टीचर को मिलकर एड्रेस करना चाहिए। अगर जीवन में चुनौती और स्पर्धा ना हो, तो जीवन प्रेरणाहीन और चेतनाहीन बन जाएगा। इसलिए Competition तो होना ही चाहिए, लेकिन Healthy Competition होना चाहिए।
जैसे मोबाइल को कार्य करने के लिए चार्जिंग की आवश्यकता होती है, उसी तरह बॉडी को भी रिचार्ज रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि स्वस्थ मन के लिए शरीर को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए प्रॉपर नींद लेना भी बहुत आवश्यक है। मोबाइल ही नहीं, बल्कि किसी भी चीज का अति...किसी का भला नहीं करता। हर चीज के लिए एक मानदंड होना चाहिए, उसका एक आधार होता है। किसी भी चीज का कितना उपयोग करना चाहिए, इसका विवेक होना बहुत जरूरी है। टेक्नोलॉजी से हमें दूर नहीं भागना चाहिए, बल्कि उसका सकारात्मक उपयोग करना चाहिए।
जितना अधिक आप अभ्यास करेंगे, आप उतने ही अधिक आश्वस्त हो जायेंगे। पानी कितना भी गहरा क्यों न हो, जो तैरना जानता है वह पार हो ही जाता है। उसी तरह, प्रश्न पत्र कितना भी कठिन क्यों न हो, यदि आपने अच्छी प्रैक्टिस की है, तो आप अच्छा प्रदर्शन करेंगे। आपके आसपास कौन क्या कर रहा है, इस पर ध्यान देना बंद करें। अपना ध्यान अपने ऊपर रखें! आप क्या हैं, आप क्या करते हैं, आप क्या अभ्यास करते हैं, यही आपका भविष्य तय करेगा।
हमें आदत डालनी चाहिए कि हम निर्णायक बनें। कंफ्यूजन में नहीं रहना चाहिए। अगर कोई कंफ्यूजन है तो हमें उस पर बात करनी चाहिए और उसका समाधान करके आगे बढ़ना चाहिए।
मेरा सभी अभिभावकों से आग्रह है कि अपने बच्चों के बीच कभी भी प्रतिस्पर्धा के बीज न बोएं, बल्कि एक-दूसरे के लिए प्रेरणा बनें।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।