हाइलाइट्स :
UN महासभा में 44 देशों ने नहीं किया पकिस्तान के प्रस्ताव पर मतदान।
भारत ने जताई गुरुद्वारों, मठों और मंदिरों पर होने वाले हमलों पर चिंता।
United Nations General Assembly : नई दिल्ली। भय इब्राहीम धर्मों से परे भी फैला हुआ है। हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म के लोग भी धार्मिक भय का शिकार हैं। ऐसे कई सबूत हैं जो इस तथ्य को साबित करते हैं। यह बात संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने कही है। दरअसल, UNGA में पकिस्तान द्वारा इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया था। जिसमें वोटिंग के दौरान भारत समेत, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूक्रेन और यूनाइटेड किंगडम सहित 44 देशों ने ऐब्स्टेन (मतदान नहीं किया) किया।
193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शुक्रवार को पाकिस्तान द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव 'इस्लामोफोबिया से निपटने के उपाय' को अपनाया, जिसमें 115 देशों ने पक्ष में मतदान किया। किसी ने भी इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया। वहीं भारत, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूक्रेन और यूके सहित 44 देशों ने मतदान नहीं किया। इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भारत ने कड़े शब्दों में इस्लामोफोबिया पर अपनी स्थिति स्पष्ट की।
भारत ने इस्लामोफोबिया पर पाकिस्तान द्वारा पेश और चीन द्वारा सह-प्रायोजित मसौदा प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि, यहूदी-विरोधी, ईसाई धर्म और इस्लामोफोबिया से प्रेरित सभी कृत्यों की निंदा की जानी चाहिए लेकिन यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि इस तरह का भय इब्राहीम धर्मों से परे भी फैला हुआ है। UNGA में जोर देकर कहा गया कि, हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म को मानने वाले लोग भी फोबिया का शिकार हैं।
रुचिरा कंबोज ने कहा कि, बहुलवाद के एक गौरवान्वित चैंपियन के रूप में भारत सभी धर्मों और सभी आस्थाओं के समान संरक्षण और प्रचार के सिद्धांत को मजबूती से कायम रखता है... यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि भय इब्राहीम धर्मों से भी आगे तक फैला हुआ है। दशकों के साक्ष्य से पता चलता है कि गैर-इब्राहीम धर्म के अनुयायी भी धार्मिक भय से प्रभावित हुए हैं। विशेष रूप से हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी तत्व सामने आए हैं। धार्मिक भय के ये समकालीन उदाहरण गुरुद्वारों, मठों और मंदिरों जैसे धार्मिक स्थानों पर बढ़ते हमलों से स्पष्ट है।"
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