हाइलाइट्स :
केंद्र ने केरल के खराब वित्तीय स्वास्थ का दिया हवाला।
अब पांच जज बेंच करेगी मामले की सुनवाई।
Kerala vs Centre : दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ केरल सरकार की याचिका (केरल राज्य बनाम भारत संघ) को पांच जज की संविधान पीठ के पास भेजा दिया है। केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर केंद्र को उधार लेने की सीमा प्रतिबंधों में ढील देने का निर्देश देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि, "हमने संवैधानिक व्याख्या के अलावा संविधान पीठ द्वारा विचार किए जाने के लिए छह प्रश्न तैयार किए हैं। यह प्रश्न संविधान के अनुच्छेद 145 के अंतर्गत आते हैं और इस प्रकार मामला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष रखा जाएगा।" अदालत ने केरल को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है।
संतुलन केंद्र सरकार पर निर्भर :
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि, "अंतरिम पहलू के लिए, हम केंद्र सरकार की इस दलील को स्वीकार करने के इच्छुक हैं कि जब अधिक उधार लिया जाता है तो अगले वर्षों में इसमें कमी की जा सकती है। इस मामले में सुविधा का संतुलन केंद्र सरकार पर निर्भर है।" न्यायालय ने यह भी कहा कि, 'अदालत के हस्तक्षेप के बाद केंद्र पहले ही 13,068 करोड़ रुपये जारी करने पर सहमत हो गया था।'
केरल का वित्तीय स्वास्थ्य :
केरल सरकार द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया था कि, 'केंद्र सरकार राज्य की उधार लेने और उसके फाइनेंस को विनियमित करने की शक्ति में अनुचित हस्तक्षेप कर रही है।' यह मुकदमा पिछले साल दिसंबर में दायर किया गया था। हालांकि, केंद्र सरकार ने केरल की दलीलों को खारिज करते हुए वित्तीय स्वास्थ्य का हवाला दिया।
केंद्र सरकार ने केरल की दलीलों का खंडन करते हुए कहा कि, भारी मात्रा में ऑफ-बजट उधार और समझौता किए गए राजकोषीय घाटे के कारण केरल का वित्तीय स्वास्थ्य गंभीर संकट में है। दो जज की पीठ ने 12 मार्च को सुझाव दिया था कि, केंद्र सरकार केरल को मौजूदा वित्तीय संकट से बाहर निकालने के लिए सख्त शर्तों के अधीन एकमुश्त पैकेज प्रदान करे। केंद्र और राज्य के अधिकारियों से इस मुद्दे पर चर्चा करने और समाधान पर पहुंचने के लिए भी कहा गया था। कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र ने अतिरिक्त उधार के रूप में 5,000 करोड़ रुपए की अनुमति देने पर सहमती जताई थी, लेकिन केरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि, यह पर्याप्त नहीं है। केरल को कम से कम 10,000 करोड़ रुपए की आवश्यकता है।
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