क्या 'घोषित बाहुबली' से मिलने वाले राजनीतिक फायदे की कीमत 'बहादुर बेटियों' के आंसू से अधिक - Rahul Gandhi
हाइलाइट्स :
WFI अध्यक्ष के चुनाव के बाद से जारी है पहलवानों का प्रदर्शन।
खेल मंत्रालय द्वारा किया जा चुका है WFI टीम को निलंबित।
राहुल गांधी ने अवार्ड लौटाए जाने पर सरकार पर कसा तंज।
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने रविवार को विनेश फोगाट के द्वारा अर्जुन अवार्ड लौटाए जाने पर सरकार पर तंज कसा है। राहुल गांधी ने विनेश फोगाट का अवार्ड लौटाते हुए वीडियो शेयर किया और सरकार से सवाल पूछा है कि, क्या राजनीतिक फायदे की कीमत बहादुर बेटियों के आंसू की कीमत से अधिक हो गई है ? दरअसल विनेश फोगाट समेत अन्य पहलवान WFI के अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद से विरोध कर रहे हैं। फ़िलहाल खेल मंत्रालय द्वारा WFI के अध्यक्ष समेत नवनिर्वाचित टीम को नियमों के उल्लंघन के चलते निलंबित किया गया है।
राहुल गाँधी ने एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा कि, देश की हर बेटी के लिये आत्मसम्मान पहले है, अन्य कोई भी पदक या सम्मान उसके बाद। आज क्या एक ‘घोषित बाहुबली’ से मिलने वाले ‘राजनीतिक फायदे’ की कीमत इन बहादुर बेटियों के आंसुओं से अधिक हो गई? प्रधानमंत्री राष्ट्र का अभिभावक होता है, उसकी ऐसी निष्ठुरता देख पीड़ा होती है।
शनिवार को कुश्ती में वर्ल्ड चैम्पियन विनेश फोगाट ने अपना खेल और अर्जुन अवार्ड कर्तव्य पथ पर छोड़ दिया था। विनेश फोगाट प्रधामंत्री आवास की ओर बढ़ रहीं थीं। उन्हें रास्ते में ही पुलिस अधिकारियों ने रोक लिया। इसके बाद विनेश फोगाट ने कर्तव्य पथ पर ही पदक छोड़ दिए। विनेश फोगाट, संजय सिंह के रेसलिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष चुने जाने का विरोध कर रहीं थीं। इसके पहले साक्षी मालिक ने विरोध करते हुए कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा कर दी थी।
विनेश फोगाट ने प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखते हुए कहा था कि, साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी है और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री लौटा दिया है। देश के लिए ओलंपिक पदक मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को यह सब करने के लिए किस लिये मजबूर होना पड़ा, यह सब सारे देश को पता है और आप तो देश के मुखिया हैं तो आपतक भी यह मामला पहुँचा होगा. प्रधानमंत्री जी, मैं आपके घर की बेटी विनेश फोगाट हूँ और पिछले एक साल से जिस हाल में हूँ यह बताने के लिए आपको यह पत्र लिख रही हूँ।
मुझे साल याद है 2016 जब साक्षी मलिक ओलंपिक में पदक जीतकर आई थी तो आपकी सरकार ने उन्हें "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" की ब्रांड एम्बेसडर बनाया था. जब इसकी घोषणा हुई तो देश की हम सारी महिला खिलाड़ी खुश थीं और एक दूसरे को बधाई के संदेश भेज रही थीं। आज जब साक्षी को कुश्ती छोड़नी पड़ी तबसे मुझे वह साल 2016 बार बार याद आ रहा है। क्या हम महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए बनी हैं। हमें उन विज्ञापनों पर छपने में कोई एतराज़ नहीं है, क्योंकि उसमें लिखे नारे से ऐसा लगता है कि आपकी सरकार बेटियों के उत्थान के लिए गंभीर होकर काम करना चाहती है। मैंने ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना देखा था, लेकिन अब यह सपना भी धुंधला पड़ता जा रहा है। बस यही दुआ करूँगी कि आने वाली महिला खिलाड़ियों का यह सपना जरूर पूरा हो।
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