राज एक्सप्रेस। भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 के लॉन्च के मौके बेरोज़गारी पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि यह मानना गलत है कि सरकार बेरोजगारी जैसी सभी सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान कर सकती है क्योंकि जब बेरोजगारी जैसी समस्याओं की बात आती है तो समाधान की तुलना में निदान आसान होता है। दरअसल दरअसल अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और मानव विकास संस्थान की भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 में भारत के अंदर रोजगार के परिदृश्य को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इसमें सबसे बड़ी बात जो सामने आई है, वह ये कि देश में कुल बेरोजगारों में से 83% युवा हैं
मुख्य आर्थिक सलाहकार नागेश्वरन ने कहा- "कौशल विकास के प्रयास और 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति रोजगार सृजन में वृद्धि की सुविधा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कुछ कदम हैं। सामान्य दुनिया में, यह वाणिज्यिक क्षेत्र या प्राइवेट सेक्टर है जिसे भर्ती करने की ज़रूरत है।"
उन्होंने डीडी इंडिया को दिए इंटरव्यू के दौरान भारत के प्राइवेट सेक्टर को रियल एसेट्स यानि वास्तिविक संपत्तियों पर निवेश करने की अपील भी की थी। उन्होंने कहा कि-
"दूसरा दशक वह है जब बैलेंस शीट की समस्याओं के कारण निवेश दर में गिरावट आई है जिसके लिए पूंजी निर्माण में निवेश करने वाले प्राइवेट सेक्टर्स नौकरियां पैदा करने के लिए एक महत्वपूर्ण पूर्व-आवश्यकता होगी। रोजगार के लिए अन्य सरकारी उपायों में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत नए कर्मचारियों के लिए नियोक्ता के योगदान का भुगतान शामिल है और नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) नियोक्ताओं को वेतन में कटौती की अनुमति देती है और इस प्रकार रोजगार सृजन पर पैसा बनाने का पक्ष नहीं लेती है।"
हालाँकि, आर्थिक सलाहकार के इस बयान की पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने अपने ट्विटर एक्स हैंडल में पोस्ट कर जमकर आलोचना की। पूर्व मंत्री ने लिखा की "अगर यह भाजपा सरकार का आधिकारिक रुख है, तो हमें साहसपूर्वक भाजपा से कहना चाहिए कि 'अपनी सीट खाली करें'।
इस रिपोर्ट से पता चला कि 2022 में भारत की कुल बेरोजगार आबादी में बेरोजगार युवाओं की हिस्सेदारी लगभग 83% थी। साल 2000 और 2019 के बीच युवा रोजगार और अल्परोजगार में वृद्धि हुई लेकिन महामारी के वर्षों के दौरान इसमें गिरावट आई। हालाँकि, युवाओं के बीच बेरोजगारी, विशेष रूप से माध्यमिक स्तर या उच्चतर शिक्षा वाले युवाओं में, समय के साथ तीव्र हो गई है। रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि देश के कुल बेरोजगार युवाओं में पढ़े-लिखे बेरोजगारों की संख्या भी सन 2000 के मुकाबले अब डबल हो चुकी है।
साल 2000 में पढ़े-लिखे युवा बेरोजगारों की संख्या कुल युवा बेरोजगारों में 35.2 प्रतिशत थी। साल 2022 में ये बढ़कर 65.7 प्रतिशत हो गई है।इसमें उन ही पढ़े-लिखे युवाओं को शामिल किया गया है जिनकी कम से कम 10वीं तक की शिक्षा हुई है। इसके आलावा यह रिपोर्ट बढ़ती भारत में बढ़ते सामाजिक असमानताओं पर प्रकाश डालती है। रिपोर्ट में बताया गया कि आरक्षण और टारगेटेड पॉलिसी के बावजूद, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को अच्छी और स्थिर नौकरियां नहीं मिल रही है। अपनी आर्थिक आवश्यकता के कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की काम में भागिदारी तो है, लेकिन वे कम वेतन वाले अस्थायी आकस्मिक वेतन वाले काम और अनौपचारिक रोजगार में अधिक लगे हुए हैं।
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