लोकसभा में CRPC संशोधन विधेयक पेश
लोकसभा में CRPC संशोधन विधेयक पेश Raj Express

लोकसभा में CRPC संशोधन विधेयक पेश, अब नहीं चलेंगे अंग्रेजों के जमाने के कानून

लोकसभा में अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 पेश किया और कहा, 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही। 3 कानून बदल जाएंगे।
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हाइलाइट्स :

  • लोकसभा में अमित शाह ने भारतीय संहिता सुरक्षा विधेयक 2023 पेश किया

  • 3 कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा

  • अंग्रेजों के जमाने के कानून अब नहीं चलेंगे- अमित शाह

दिल्‍ली, भारत। संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन आज शुक्रवार (11 अगस्त) को लाेकसभा में अंग्रेजों शासन के कानून बदलने के लिए अहम बिल संसद में पेश हुआ। दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय संहिता सुरक्षा विधेयक 2023 पेश किया है, जो सदियों पुराने औपनिवेशिक आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन करेगा।

अंग्रेजों के जमाने के कानून अब नहीं चलेंगे :

इस दाैरान लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 पर कहा, "1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही। तीन कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा। अंग्रेजों के जमाने के कानून अब नहीं चलेंगे।"

आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वे सभी पीएम मोदी के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले हैं। इन तीन विधेयक में एक है इंडियन पीनल कोड, एक है क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, तीसरा है इंडियन एविडेंस कोड। इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह, अब 'भारतीय न्याय संहिता 2023' होगा। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह 'भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023' प्रस्थापित होगा और इंडियन एविडेंट एक्ट, 1872 की जगह 'भारतीय साक्ष्य अधिनियम' प्रस्थापित होगा।'

इस विधेयक के तहत हमने लक्ष्य रखा है कि सजा का अनुपात 90% से ऊपर ले जाना है। इसीलिए, हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लाए हैं कि जिन धाराओं में 7 साल या उससे अधिक जेल की सजा का प्रावधान है, उन सभी मामलों में फॉरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा। इस कानून के तहत हम राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त कर रहे हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

उन्‍होंने आगे यह भी कहा कि, आपराधिक कानून भारतीयों द्वारा, भारतीयों के लिए होने चाहिए। अंग्रेजों के ये कानून सजा पर केंद्रित हैं, जिन कानूनों को निरस्त किया जाएगा... उन कानूनों का फोकस ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना और उन्हें मजबूत करना था। उनका विचार दंड देना था, न्याय देना नहीं। इन्हें प्रतिस्थापित कर नए तीन कानून भारतीय नागरिक के अधिकारों की रक्षा का जज्बा लाएंगे। नए विधेयक का उद्देश्य सज़ा देना नहीं, न्याय दिलाना होगा। अपराध रोकने की भावना पैदा करने के लिए सजा दी जाएगी।

अमित शाह ने कहा, हम आज इन कानूनों को खत्म कर देंगे, जो अंग्रेज़ों द्वारा लाए गए थे। मैं आज जो तीन विधेयक पेश कर रहा हूं उनमें आपराधिक न्याय प्रणाली का सिद्धांत कानून भी शामिल है-

  • एक है भारतीय दंड संहिता जो 1860 में बनाई गई थी।

  • दूसरी है आपराधिक प्रक्रिया संहिता जो 1898 में बनाई गई थी

  • तीसरा है भारतीय साक्ष्य अधिनियम, जो 1872 में बना था।

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