हाइलाइट्स :
तीन सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार को देना होगा जवाब।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई CAA पर अहम सुनवाई।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 पर रोक लगाने की मांग वाले आवेदनों पर 9 अप्रैल को सुनवाई करेगा। केंद्र सरकार ने मंगलवार को नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करने वाले आवेदनों पर जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा है। SC ने केंद्र से नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 पर रोक लगाने की मांग करने वाले आवेदनों पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि, उन्हें 20 आवेदनों पर जवाब देने के लिए कुछ समय चाहिए, जिसमें शीर्ष अदालत द्वारा संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा होने तक नियमों पर रोक लगाने की मांग की गई है। मेहता ने पीठ से कहा, "यह (सीएए) किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनता है।" पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
नागरिकता संशोधन अधिनियम नियम 2024 :
लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम नियम 2024 की अधिसूचना जारी की गई थी। इसके तहत पकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय जिसमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल है को नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता संशोधन अधिनियम दिसंबर 2019 में संसद से पारित किया गया था। नियम के अनुसार 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले लोगों को ही नागरिकता मिलेगी। गृह मंत्रालय ने इसके लिए एक वेबसाइट भी शुरू की है।
नागरिकता संशोधन नियम 2024 पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली पीठ में मुख्य न्यायाधीश डीवी चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने पर याचिकाकर्ता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा, "सीएए से संबंधित कुल 237 याचिकाएं हैं। इनमें से 236 जनहित याचिकाएं इसके खिलाफ हैं और मेरी जनहित याचिका कानून के पक्ष में है। सीएए का विरोध करने वाली याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के मुसलमानों को बाहर करना आर्टिकल 14 का उल्लंघन है।" उन्होंने नई अर्जी दाखिल कर CAA के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है। केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल ने इसका विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को तीन हफ्ते का वक्त दिया है। अगली सुनवाई 9 अप्रैल को है।"
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