बिलकिस बानो केस : तीन दोषियों ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा, जेल में आत्मसमर्पण की तारीख बढ़ाने की लगाई अर्जी

Bilkis Bano Case : सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों केस की सुनवाई करते हुए 11 दोषियों की रिहाई रद्द कर दी थी।
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हाइलाइट्स :

  • दोषियों को 21 जनवरी तक करना है आत्मसमर्पण।

  • याचिका को सूचीबद्ध करने पर सुप्रीम कोर्ट सहमत।

  • बीवी नागराथन की अध्यक्षता में पीठ ने सुनाया था फैसला।

नई दिल्ली। बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों में से तीन ने जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दोषियों के वकील द्वारा तत्काल सुनवाई के लिए उनकी याचिका का उल्लेख करने के बाद सुप्रीम कोर्ट उनकी याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमत हुआ। इन दोषियों को 21 जनवरी तक आत्मसमर्पण करने को कहा गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों केस की सुनवाई करते हुए 11 दोषियों की रिहाई रद्द कर दी थी। इस मामले में उच्चतम न्यायलय का मानना था कि, गुजरात नहीं महाराष्ट्र सरकार दोषियों की रिहाई का फैसला ले सकती है। गुजरात सरकार द्वारा बिलकिस बानो रेप केस के अपराधियों को रेमिशन दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ याचिका लगाई गई थी। जस्टिस बीवी नागराथन की अध्यक्षता में पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रश्न रखा गया था कि, क्या गुजरात सरकार द्वारा बिलकिस बानो रेप केस के अपराधियों को रेमिशन सही तरीके से दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट का मानना था कि राज्य, जहां किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, वह दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने में सक्षम है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि दोषियों की सजा माफी का आदेश पारित करने के लिए गुजरात राज्य सक्षम नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र सरकार सक्षम है।

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