दिल्ली में शराब नीति को लेकर अन्ना हजारे ने पत्र लिखकर अरविंद केजरीवाल को फटकारा
दिल्ली, भारत। दिल्ली की शराब नीति में घोटालों की खबरों के बीच अरविंद केजरीवाल के सियासी गुरु कहे जाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा गया है।
शराब की दुकानों को बंद कर दें :
इस दौरान अन्ना हजारे ने अपने इस पत्र में CM अरविंद केजरीवाल को फटकार लगाई और कहा कि, "आपकी सरकार ने लोगों के जीवन को बर्बाद करनेवाली, महिलाओं को प्रभावित करने वाली शराब नीति बनाई है। आपकी कथनी और करनी में फर्क है। वह दिल्ली में शराब की दुकानों को बंद कर दें। अरविंद केजरीवाल ने स्वराज पुस्तक में बड़ी-बड़ी बातें की थीं, लेकिन उनके आचरण पर उसका असर नहीं दिख रहा है। आपके मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार मैं आपको खत लिख रहा हूं। पिछले कई दिनों से दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर जो खबरें आ रही हैं, उन्हें पढ़कर दुख होता है।''
महात्मा गांधी के 'गांव की ओर चलो' के विचार से प्रेरित होकर मैंने अपनी जिंदगी गांव, समाज और देश के लिए समर्पित की है। पिछले 47 सालों से ग्राम विकास के लिए काम कर रहा हूं और भ्रष्टाचार के विरोध में आंदोलन कर रहा हूं।
अन्ना हजारे
मुख्यमंत्री बनने के बाद आदर्श विचारधारा भूल गए :
अन्ना हजारे ने अपने पत्र में अरविंद केजरीवाल को पुराने दिन याद दिलाते हुए यह भी लिखा- आप हमारे गांव रालेगण सिद्धि आ चुके हैं। यहां आपने शराब, बीड़ी, सिगरेट आदि पर रोक की प्रशंसा की थी। राजनीति में आने से पहले आपने 'स्वराज' नाम से एक किताब लिखी थी। इस पुस्तक में आपने ग्रामसभा, शराब नीति के बारे में बड़ी-बड़ी बातें लिखी थीं। तब आपसे बहुत उम्मीद थी, लेकिन राजनीति में जाकर मुख्यमंत्री बनने के बाद आप आदर्श विचारधारा को भूल गए हैं।
अन्ना हजारे ने अपने आंदोलन का जिक्र किया और कहा कि, ''आप रास्ता ही भटक गए हैं। किसी भी दल की सरकार हो, उस पर दबाव के लिए समान विचारधारा वाले लोगों का एक प्रेशर ग्रुप होना जरूरी था। यदि ऐसा होता तो देश की स्थिति आज अलग होती और गरीब लोगों को फायदा मिलता।''
अन्ना हजारे ने आगे यह भी लिखा, '10 साल पहले 18 सितंबर 2012 को दिल्ली में टीम अन्ना के सदस्यों की मीटिंग हुई थी। उस वक्त आपने राजनीतिक रास्ता अपनाने की बात कही थी। लेकिन आप भूल गए कि राजनीतिक दल बनाना हमारे आंदोलन का उद्देश्य नहीं था। उस वक्त जनता में टीम अन्ना के प्रति भरोसा था और मुझे लगता था कि हमें लोकशिक्षण और लोकजागृति का काम करना चाहिए। यदि लोकशिक्षण का काम होता तो देश में कहीं भी इस तरह की शराब नीति नहीं बनती।'
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