राज एक्सप्रेस। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि, दिल्ली के हर निवासी की जान बचाना उनका फर्ज है। अगर कोई सड़क दुर्घटना का शिकार होता है, तो उन्हें सरकार पूरी मदद करेगी। सोमवार को उन्होंने फरिश्ते नामक योजना शुरू करते हुए यह बात कही। असल में दिल्ली में सड़कों पर दुघर्टना के शिकार लोगों को जो अस्पताल तक पहुंचाएंगे वह दिल्ली सरकार के लिए फरिश्ता कहलाएंगे। दिल्ली सरकार उन्हें इसके बदले प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी करेगी। केजरीवाल ने आज इस योजना की शुरूआत करते हुए कुछ फरिश्ते को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया। इस मौके पर आज उन तीन लोगों ने अपनी कहानी भी बताई, जिनकी दुर्घटना के तत्काल बाद अस्पताल पहुंचाने से जान बची। फरिश्ता बने कुछ लोगों ने भी अपना अनुभव साझा किया।
केजरीवाल ने कहा
डेढ़ साल पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस योजना को लागू किया गया था। इस दौरान योजना में मिली खामियों को दूर कर इसे आज लांच किया जा रहा है। हम राजनीति में आने से पहले समाजसेवक थे। पहले छोटे स्तर पर काम का अवसर था। आज मुख्यमंत्री बनकर बड़े स्तर पर लोगों की सेवा का अवसर मिला है। उसे ही कर रहे हैं। इसी कारण घायलों के मुफ्त इलाज का निर्णय लिया। इस योजना में अब तक करीब तीन हजार लोगों की जान बची है। काफी लोग मुझसे मिले हैं। उनसे मिलकर अच्छा लगता है कि लोगों के टैक्स के पैसे का इस्तेमाल उनकी सेवा में हो रहा है। पहले लोगों को लगता था कि उनके टैक्स के पैसे की चोरी हो जाती है। लेकिन अब लोगों को संतोष है कि उनके टैक्स का पैसा उनके काम आ रहा है।
दुर्घटना में पहला घंटा महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि दुर्घटना होने के बाद पहला एक घंटा गोल्डन होता है। अगर उस दौरान इलाज मिल गया तो जान बचने की 80 फीसद संभावना होती है। पहले लोग डरते थे कि अस्पताल पहुंचाने पर समस्या न बढ़ जाए। अस्पताल इलाज से इंकार न कर दे। पुलिस न परेशान करे। दिल्ली में बचाई गई तीन हजार जान से साफ है कि अब ऐसा नहीं हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सही समय पर अगर निर्भया को इलाज मिल जाता तो उसकी जान बच सकती थी।
स्कीम की जरूरी
वहीं स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि, मुख्यमंत्री का पसंदीदा गाना ही है, इंसान का इंसान से हो भाईचारा। इस तरह का गाना पसंद करने वाला व्यक्ति ही घायलों के इलाज की मुफ्त स्कीम ला सकता है। उन्होंने कहा कि हर दिल्लीवासी को इस स्कीम के बारे में संपूर्ण जानकारी रखनी चाहिए। यह बडे़ काम की चीज है। घायल को दिल्ली के किसी अस्पताल में ले जाए, सारा खर्च सरकार उठाएगी। अगर घायल को पहले छोटे अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है और उसे बड़े अस्पताल ले जाना है तो एंबुलेंस का खर्च भी सरकार देगी। साथ ही अस्पताल ले जाने वाले को दो हजार रुपये दिया जाएगा। हालांकि अभी तक का अनुभव है कि लोग पैसे लेने से मना कर देते हैं। अस्पताल किसी को भर्ती करने से मना करता है तो उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।
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