खड़गे के हाथ कांग्रेस की कमान, लेकिन उनके सामने अब भी मौजूद हैं कई बड़ी चुनौतियाँ
राज एक्सप्रेस। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे ने शशि थरूर को मात देते हुए पद तो अपने नाम कर लिया है। इस चुनाव में जहां खड़गे को 7897 वोट हासिल हुए तो वहीं थरूर को केवल 1072 वोट ही हासिल हुए, जबकि इसके अलावा 416 वोट रद्द हो गए। कांग्रेस पार्टी में पूरे 24 सालों के बाद गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति पार्टी के अध्यक्ष पद पर काबिज हुआ है। लेकिन इस पद को हासिल करने के साथ ही मल्लिकार्जुन के सामने कई ऐसी चुनौतियां खड़ी हैं, जिनका उन्हें सामना करना है। चलिए बात करते हैं इनके बारे में।
कमजोर हो रही पार्टी को संभालना जरुरी :
फ़िलहाल कांग्रेस पार्टी अपने इतिहास के सबसे कमजोर मुकाम पर आ पहुंची है। पार्टी से लगातार सदस्य कम होते जा रहे हैं और संगठन भी बिखरता दिखाई दे रहा है। ऐसी स्थिति में खड़गे के सामने नेताओं को वापस लाने और उनके पार्टी को छोड़ने के सिलसिले को रोकने का चैलेंज है।
पहली परीक्षा बना पहला चुनाव :
जल्द ही गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। गुजरात से तो पार्टी बाहर है,लेकिन इसके अलावा हिमाचल में भी बीते पांच सालों से पार्टी मौजूद नहीं है। ऐसे समय में कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश में बीजेपी और गुजरात में बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों के ही साथ मुकाबला करना है। अब खड़गे के सामने इन दोनों राज्यों में पार्टी को जीत दिलवाने की चुनौती है।
नेताओं के बीच संतुलन :
लंबे समय से यह देखने को मिल रहा था कि कांग्रेस पार्टी में युवा और वरिष्ठ नेताओं के बीच संतुलन नहीं बन पा रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। ऐसे में खड़गे के सामने युवा और वरिष्ठ नेताओं को साथ लाने का भी बड़ा चैलेंज है।
पीएम मोदी को चुनौती :
पीएम मोदी की पार्टी में पकड़ मजबूत होने के साथ ही आरएसएस भी उनके साथ है। अपने सामने इतना मजबूत चेहरा होते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने खुद की पार्टी के अंदर पीएम मोदी जैसा समर्थन हासिल करना है। पार्टी के साथ ही खड़गे को देश में भी अपनी छवि को मजबूत बनाने की जरूरत है, जो एक बड़ी चुनौती है।
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