धान खरीद एवं उसकी कस्टम मिलिंग को लेकर विधानसभा में हुई जमकर तकरार

छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज समर्थन मूल्य पर धान खरीद, उसकी कस्टम मिलिंग ,केन्द्रीय पूल में खरीद तथा 44 हजार मीट्रिक टन धान की कमी को लेकर प्रश्नोत्तरकाल में लम्बी तकरार।
धान खरीद एवं उसकी कस्टम मिलिंग को लेकर विधानसभा में हुई जमकर तकरार
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राजएक्सप्रेस। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज समर्थन मूल्य पर धान खरीद, उसकी कस्टम मिलिंग, केन्द्रीय पूल में खरीद तथा 44 हजार मीट्रिक टन धान की कमी को लेकर प्रश्नोत्तरकाल मंम लम्बी तकरार के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हस्तक्षेप के बाद आधे घंटे की अलग से चर्चा मंजूर कर ली गई। श्री बघेल ने खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के भाजपा सदस्य अजय चन्द्राकर एवं अन्य सदस्यों के पूरक प्रश्नों के दिए जा रहे उत्तर को लेकर चल रही नोंकझोक के बीच हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सरकार इस मसले पर कुछ भी नहीं छिपायेंगी, वह इस मसले पर आधे घंटे की चर्चा के लिए भी तैयार है।उन्होंने दिसम्बर 19 में अपनी सरकार बनने के बाद धान खरीद पर और उससे जुड़े मसले का विस्तार से उल्लेख किया।उन्होंने कहा कि 2500 रूपए पर धान खरीद के कारण केन्द्र ने केन्द्रीय पूल के लिए चावल लेने से मना कर दिया, जिसके बाद राज्य को राजीव गांधी न्याय योजना शुरू करनी पड़ी।

उन्होंने कहा कि बीते खरीद वर्ष में काफी विलम्ब से गत 03 जनवरी को प्रधानमंत्री से उनकी मुलाकात और फिर उनके हस्तक्षेप के बाद अनुमति मिली। पहले सितम्बर तक अनुमति मिल जाती थी। उन्होंने कहा कि पहले 60 लाख मीट्रिक टन की अनुमति मिली बाद में उसे घटाकर 24 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इस मसले पर भारत सरकार एवं राज्य सरकार की समझ अलग अलग है।

श्री बघेल ने कहा कि अनाज का और अन्नदाता का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने पिछली खरीद सीजन के धान को लेकर उठाई आपत्तियों का जिक्र करते हुए कहा कि लकीर के फकीर मत बनिए। उन्होने मामला उठाए जाने को सही बताते हुए कहा कि इससे अधिकारियों पर दबाव बनता है।उन्होने कहा कि इस मसले पर राजनीति करने की उनकी कोई मंशा नहीं है, पर दो वर्ष हो गया धान से एथेनाल बनाने का प्लांट लगाने की अनुमति केन्द्र नहीं दे रहा है।

डिस्क्लेमर : यह आर्टिकल न्यूज एजेंसी फीड के आधार पर प्रकाशित किया गया है। इसमें राज एक्सप्रेस द्वारा कोई संशोधन नहीं किया गया है।

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