Jhiram Ghati Naxal Attack के दस साल, जांच के नाम पर सिर्फ 21 नक्सलियों के नाम और इनाम
Jhiram Ghati Naxal Attack: दस साल पहले 25 मई 2013 को आजाद भारत का सबसे बड़ा नक्सली माओवादी हमला हुआ था जिसमे करीब 32 लोगों की बर्बरता से हत्या कर दी थी। इस हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ला, प्रदेश के पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद महेंद्र कर्मा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और पूर्व विधायक उदय मुदलियार जैसे बड़े राजनेता शामिल थे। इस हमले से प्रदेश की सुरक्षा पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा था, जिसके बाद इसकी जाँच के आदेश एनआईए को दिए गए थे। दस साल बाद भी एनआईए के हाथ हमले में शामिल सिर्फ 21 नक्सलियों के नाम लगे है बीते वर्ष में एनआईए ने इन 21 नक्सलियों पर सात लाख से लेकर 50 हजार रुपये तक का इनाम घोषित किया था।
इस समय राज्य में कांग्रेस की सरकार है, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एनआईए से अब तक हुई जाँच के दस्तावेज मांगे है। राज्य सरकार ने हर साल झीरम घाटी हत्याकांड में शहीद हुए लोगों को प्रतिवर्ष श्रद्धांजलि देने की आदेश जारी किये है। इस हत्याकांड को लेकर विधानसभा चुनाव 2023 से ठीक पहले राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप लगा रहे है।
काफिले में कांग्रेस के 200 नेता थे शामिल :
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में कांग्रेस पार्टी के द्वारा एक परिवर्तन रैली का आयोजन किया था जिसमे पार्टी के बड़े नेताओं ने शिरकत की थी। रैली के सफलतापूर्वक पूरी होने के बाद सारे दिग्गज नेता लौट रहे थे। इस काफिले में करीब 25 गाड़ियां थीं, जिनमें 200 नेता सवार थे। सबसे आगे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल और कवासी लखमा अपने-अपने सुरक्षा गार्ड्स के साथ थे। इनके पीछे महेन्द्र कर्मा और मलकीत सिंह गैदू की गाड़ी थी। इस गाड़ी के पीछे बस्तर के तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी उदय मुदलियार कुछ अन्य नेताओं के साथ चल रहे थे। इसी दौरान सुकमा और जगदलपुर के बीच झीरम घाटी के पास नक्सलियों ने हमला बोल दिया था। लगभग डेढ़ घंटे लगातार दोनों तरफ से फायरिंग हो रही थी। इस हमले में कुल 32 लोग शहीद हुए थे जिसमे 27 कांग्रेस पार्टी के नेता तथा 5 सेना के जवान थे।
यह थी इतने बड़े हमले की वजह :
इस हमले के पीछे की वजह 'सलवा जुडूम' को बताया गया है। छ्त्तीसगढ़ सरकार ने माओवादियों से निपटने के लिए इस अभियान की शुरुआत की थी। ‘सलवा जुडूम’ शब्द का गौंड भाषा में अर्थ है ‘शान्ति यात्रा’। यह आन्दोलन छत्तीसगढ़ की तात्कालिन कांग्रेस सरकार के समर्थन से चलाया गया था। इसका उद्देश्य राज्य में नक्सली हिंसा को रोककर शांति स्थापित करना था। इस अभियान की शुरुआत जून 2005 में कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा द्वारा की गई थी।
महेन्द्र कर्मा की अगुवाई में शुरू हुआ था सलवा जुडूम :
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के दिग्गज नेता महेन्द्र कर्मा ने साल 2005 में छत्तीसगढ़ के नकसली माओवादी के खिलाफ सलवा जुडूम अभियान चलाया जिसे नाराज नक्सलियों ने 25 मई 2013 को सुकमा में उनकी पार्टी द्वारा आयोजित एक रैली से लौटते समय उनकी हत्या कर दी थी। इससे पहले नक्सली ने नेता कर्मा के भाई पोदियाराम के साथ-साथ उनके 20 रिश्तेदारों की हत्या कर चुके थे।
आंदोलन से जोड़ा आम लोगों को :
इस आंदोलन से लोगो से जोड़ने के लिए और इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ग्रामवासियों को भी इसमें शामिल किया और उन्हें नक्सलियों से लड़ने के लिए हथियारों और रसद के साथ-साथ अन्य जरूरी चीजें भी मुहैया कराई थी। बीजापुर के कुटरू से एक छोटे से अभियान के साथ शुरु हुए सलवा जुडूम आंदोलन ने देखते ही देखते एक विशाल रूप ले लिया। बड़ी संख्या में आदिवासी इस अभियान से जुड़ गए, जिन्हें बाद में विशेष पुलिस अधिकारी का दर्जा भी दिया गया था। सलवा जुडूम से नाराज माओवादियों ने 25 मई 2013 को कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा की बर्बरता से हत्या कर दी थी।
झीरम घाटी नक्सल अटैक का मास्टर माइंड :
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए जबर्दस्त नक्सली हमले में 22 जवानों की शहादत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस मुठभेड़ में 15 नक्सली भी ढेर हुए। इतनी बड़ी मुठभेड़ के पीछे नक्सल कमांडर माडवी हिडमा का नाम सामने आया है। हिडमा पहले से ही सैन्य बलों की 'मोस्ट वांटेड' की सूची में है। उस पर 25 लाख का ईनाम भी घोषित है। माडवी हिडमा पर पुलिस ने 25 लाख का इनाम घोषित किया हुआ है। नक्सल कमांडर माडवी हिडमा को संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा जैसे कई नामों से भी जाना जाता है। वह छत्तीसगढ़ पुलिस समेत कई नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस के लिए मोस्टवांटेड नक्सली है।
NIA ने जारी किये यें नाम :
एनआइए द्वारा घोषित की गई सूची में केशव राव और हिड़मा के अतिरिक्त दो माओवादियों के खिलाफ 7-7 लाख रुपये, चार माओवादियों पर 5 लाख रुपये, तीन माओवादियों पर 2.50 लाख रुपये, आठ माओवादियों पर 1लाख रुपये एवं दो माओवादियों पर 50 हजार रुपये का इनाम रखा गया है। छत्तीसगढ़ में सक्रिय कुख्यात नक्सली लीडर हिड़मा उर्फ हिड़मन्ना उर्फ माड़वी हिड़म उर्फ हिडमालु उर्फ संतोष को सुरक्षा एजेंसियों वर्षो से ढूंढ रही हैं। यहां हुए कई बड़े नक्सली हमलों में हिड़मा ही अग्रणी रहा है।
NIA के द्वारा जारी की गई सूची में यह नाम शामिल थे।
नम्बाला केशव राव उर्फ गगन्ना उर्फ बसवराज उर्फ प्रकाश उर्फ कृष्णा उर्फ विजय उर्फ केशव उर्फ राजू उर्फ उमेश (उम्र 65 वर्ष), निवासी-जियानपेंटा, मोंडल कोटाम्बली, जिला-श्रीकाकुलम (आंधप्रदेश) के खिलाफ 50 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की गई है।
माओवादी कमांडर हिड़मा उर्फ हिड़मन्ना उर्फ माड़वी हिड़म उर्फ हिडमालु उर्फ संतोष पिता-पोडियम सोमा उर्फ दुग्गावडे (51 वर्ष) निवासी-पूवर्ती, थाना-जगरगुंडा, जिला सुकमा (छत्तीसगढ़) के खिलाफ 25 लाख रुपये का इनाम रखा गया है।
तिपिरी तिरुपति उर्फ देवजी उर्फ चेतन उर्फ संजीव उर्फ रमेश उर्फ देवनन्ना उर्फ कुम्मा दादा और पाकाहनुन्तरु उर्फ गणेश उइके उर्फ गनेशन्ना उर्फ राजेश तिवारी पर 7-7 लाख रुपये,
चार माओवादी भगत हेमला उर्फ बदरू., बारसे सुक्का उर्फ देवा उर्फ देवनन्ना,
जयलाल मंडावी उर्फ गंगा
सोमा सोढ़ी उर्फ सुरेन्दर उर्फ माड़वी
सीमा उर्फ मड़कामी पर 5-5 लाख रुपये,
तीन माओवादी तेलम आयतु उर्फ आयतु डोडी,
कुरसम सन्नी उर्फ कोसी उर्फ लच्छी
बदरू मोड़ियाम उर्फ मंगतू उर्फ किशन पर ढाई-ढाई लाख रुपये के इनाम की घोषणा की गई है।
आठ माओवादी मोड़ियाम रमेश उर्फ लच्छू,
सरिता केकम उर्फ मिटाकी,
सोमी पोटाम उर्फ सोनी पोटाम उर्फ सोमे पोटाम,
कुम्मा गोंदे उर्फ गुड्डू उर्फ प्रदीप,
कामेश कवासी,
कोरसा सन्नी उर्फ सन्नी कोरसम उर्फ सन्नी हेमला,
कोरसा लक्खू उर्फ लक्खू
मंगली कोसा उर्फ मंगली मोड़ियाम के खिलाफ 1-1 लाख रुपये एवं दो माओवादी सन्नू वेट्टी 50 हजार रुपये का इनाम रखा गया है।
मड्डा मड़कामी पर 50 हजार रुपये का इनाम रखा गया है।
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