Rajim Kumbh Mela 2024: राजिम कुंभ मेले का शुभारंभ, जानिए इससे जुड़े सभी तथ्य

छत्‍तीसगढ़ की तीर्थ नगरी राजिम में आज शनिवार को राजिम कुंभ का शुभारंभ हो गया। कुंभ कल्प में भारत की सनातन परंपरा की अद्भुत झलक दिखेगी।
Rajim Kumbh Mela 2024
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हाइलाइट्स-

  • आज से राजिम कुंभ का आगाज।

  • प्रयागराज कुंभ की तर्ज पर लगेंगी आर्गेनाइज्ड स्ट्रक्चर की दुकानें।

  • राजिम मेले को इस बार राममय थीम पर सजाया गया है।

रायपुर, छत्तीसगढ़। छत्‍तीसगढ़ की तीर्थ नगरी राजिम में आज शनिवार को राजिम कुंभ का शुभारंभ हो गया। कुंभ कल्प में भारत की सनातन परंपरा की अद्भुत झलक दिखेगी। उत्तराखंड से तमिलनाडू तक भारतभूमि की संतपरंपरा से जुड़े संतों का अद्भुत समागम होगा। संगम नगरी का दृश्य अयोध्या धाम की तरह होगा, इस बार की थीम रामोत्सव है।

बता दें कि, गरियाबंद में आस्था और अध्यात्म का पर्व माघ पूर्णिमा के पुण्य अवसर पर शनिवार की तड़के बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पुन्नी स्नान के पुण्य लाभ प्राप्त किया। इसी के साथ राजिम कुंभ कल्प मेला का भी शुभारंभ हो गया। आज माघ पूर्णिमा के अवसर पर अचंल सहित प्रदेश के कोने-कोने से पहुंचे श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम पैरी सोढ़ूर और महानदी में तड़के सुबह से डुबकी लगाकर अपने आप को धन्य किया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ राजीव लोचन और कुलेश्वरनाथ महादेव के मंदिर पहुंचकर दर्शन कर अपने परिवार की खुशहाली और सुख समृद्धि की कामना की।

आठ मार्च को होगा समापन:

बता दें कि, सरकार बदलने के साथ ही छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक धार्मिक नगरी राजिम कुंभ कल्प मेले का स्वरूप भी इस बार बदला हुआ है। छत्तीसगढ़ के प्रयागराज तीर्थ नगरी राजिम में इस वर्ष राजिम माघी पुन्नी मेला की जगह राजिम कुंभ कल्प मेला का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 24 फरवरी से 08 मार्च तक होगा। इसके अंतर्गत संत समागम का आयोजन 03 मार्च से 08 मार्च तक रहेगा। इस दौरान तीन पर्व स्नान 24 फरवरी माघ पूर्णिमा, 04 मार्च जानकी जयंती और 08 मार्च महाशिवरात्रि को होगा।

छत्तीसगढ़ का प्रयाग है राजिम:

आपको बता दें कि, राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहते हैं। राजिम धर्म, अध्यात्म, परंपरा और संस्कृति का संगम है। वैसे यह तीन नदियों का भी संगम है, जिसके चलते इसे त्रिवेणी संगम के नाम से भी जाना जाता है। यहां महानदी, पैरी नदी और सोंढूर ये नदी मिलती है, जिसमें डुबकी लगाने ना सिर्फ हमारे देश से बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं। ये वही जगह है जहां भगवन राम माता सीता के वनवास के दौरान माता सीता ने भगवान शंकर की आराधना की थी। और नदी के बीचों-बीच एक रेत का शिवलिंग बनाया था। तीन नदियों के संगम के बावजूद ये स्थान आज भी आठवीं सदी का कुलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। जबकि यहां कितने बार बाढ़ आ चूका है, लेकिन ये मंदिर अभी तक नहीं डूबा है।

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