हाइलाइट्स
चरणदास महंत के विवादित बयान (Controversial Statement) पर सुधांशु त्रिवेदी ने साधा निशाना।
कहा- क्या गांधीजी इसी कारण छड़ी रखते थे?
Charan Das Mahant's Controversial Statement : छत्तीसगढ़। उम्मीद है कि लोगों के विरोध और पीएम मोदी के प्रति लगातार बढ़ते समर्थन और स्नेह के बाद विपक्षी नेता मुख्य रूप से कांग्रेस अपनी मानसिक संतुलन और ताकत खोती नजर आ रही है। यह बात भाजपा के सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता चरण दास महंत की पीएम मोदी पर की गई टिप्पणी (Controversial Statement) पर कही है। हालांकि इसको लेकर छत्तीसगढ़ नेता प्रतिपक्ष महंत ने सफाई दे दी है। उन्होंने कहा कि, छत्तीसगढ़ भाषा में दिए मेरे बयान का गलत अर्थ निकाला जा रहा।
ये मोहब्बत की दुकान से कौन सा फरमान
बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, छत्तीसगढ़ एलओपी चरण दास महंत ने एक बार फिर पीएम मोदी के लिए अपमानजनक भाषा (Controversial Statement) का इस्तेमाल किया है जो कांग्रेस की आदत रही है। उन्होंने आगे कहा कि, लोकतंत्र में ऐसी भाषा दुखद है... मैं पूछना चाहता हूं, 'ये मोहब्बत की दुकान से कौन सा फरमान है?' कांग्रेस विशेष कॉपीराइट रखने और गांधीजी की परंपरा से होने का दावा करती है, क्या गांधीजी इसी कारण छड़ी रखते थे?..."
दरअसल, बीते दिन छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष ने छत्तीसगढ़ी भाषा में अपने संबोधन में कहा, ''भूपेश भाई की भारी बहुमत से जीत सुनिश्चित करें जिससे वह आपकी रक्षा कर सकें और भविष्य में आपके लिए खड़े हो सकें। महिलाओं, किसानों या युवाओं की गरिमा का सवाल हो, तो एक संरक्षक चाहिए जो अच्छा लाठी पकड़कर मारने वाला हो। नरेंद्र मोदी के खिलाफ यदि कोई लाठी लेकर खड़ा हो सकता है तो वह आपके सांसद (पार्टी उम्मीदवार बघेल का जिक्र) खड़े हो सकते हैं। बाकी लोग सीधे-सादे हैं। देवेंद्र (देवेंद्र यादव) भी खड़ा हो सकता है। शिव (शिवकुमार डहरिया) लाठी नहीं पकड़ सकते. (हंसते हुए कहते हैं) वह गाली दे सकते हैं। हम लोगों को लाठी पकड़ने वाले आदमी की जरूरत है। नरेन्द्र मोदी का सिर फोड़ने वाला आदमी चाहिए और उनको रात-दिन तंग करके उन्हें चीन भेजने वाला आदमी चाहिए।
मीडिया प्रतिनिधियों के द्वारा गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा
नेता प्रतिपक्ष ने अपने पीएम मोदी के लिए की गई टिप्पणी पर सफाई देते हुए कहा कि, छत्तीसगढ़ की रीति-नीति व संस्कृति का शायद ज्ञान नहीं है, इसलिए उनके सहज व विशुद्ध छत्तीसगढिय़ा वाक्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। मैं विशुद्ध रूप से छत्तीसगढिय़ां संस्कृति में रचा-बसा हूं। छत्तीसगढ़ की भाषाशैली का उपयोग करते समय बीच-बीच में निर्धारित प्रयोग लक्षणा-व्यंजना में आने वाले शब्दों के साथ बात करता हूं। छत्तीसगढिय़ों में एक प्रचलित वाक्य जैसे-लउठी धर के दउड़ा न…, मार न टूरा ला… जैसे कई वाक्य सहज रूप से उपयोग में लाए जाते हैं लेकिन जो लोग छत्तीसगढ़ की रीति-नीति, भाषा संस्कृति को नहीं समझते, ऐसे लोगों द्वारा और मीडिया प्रतिनिधियों के द्वारा इसे गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है।
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