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International Workers Day: मजदूर दिवस पर श्रमवीरों को CM बघेल ने दी बधाई, जानें इसका इतिहास

International Workers Day: अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर सीएम भूपेश बघेल ने श्रमवीरों को बधाई दी साथ ही उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना भी की हैं।
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International Workers Day: अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस या मई दिन मनाने की शुरुआत 1 May 1886 से मानी जाती है। मजदूर दिवस को लेबर डे, श्रमिक दिवस या मई डे के नाम से भी जाना जाता है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल (Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel) ने श्रमिकों (Workers) को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की हैं।

सीएम बघेल ने ट्वीट कर कही यह बात :

हर साल दुनियाभर में मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से मजदूर दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने श्रम दिवस पर बधाई देते हुए ट्वीट किया है। सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा- "मेहनतकश श्रमिकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस (मई दिवस) के अवसर पर सभी श्रमवीरों को बधाई और शुभकामनाएं। आज का दिन श्रमिकों की मेहनत और समर्पण के सम्मान का दिन है। सभी श्रमिकों के सुखमय और उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ" #LabourDay #MayDay #InternationalWorkersDay

बोरे बासी खाके, मनाबो श्रम तिहार गजब बिटामिन ले भरे, ए छत्तीसगढ़िया आहार
CM भूपेश बघेल

सीएम ने की बोरे बासी खाने की अपील :

छत्तीसगढ़ में पारम्परिक रूप से मेहनतकशों के दैनिक भोजन का हिस्सा बोरे-बासी रहा है। बोरे बासी में सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इस अवसर पर सीएम भूपेश बघेल ने बोरे बासी के गुण बताते हुए कहा- हमारी संस्कृति और परम्पराओं में स्वस्थ जीवन के कई सूत्र और रहस्य छुपे होते हैं, जिसे हमें जानने, पहचानने और अपनाने की जरूरत है। आइए! आज आमा के अथान और गोंदली के साथ हर घर में बोरे-बासी खाएं और अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व महसूस करें। #HamarBoreBaasi

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अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस का इतिहास :

किसी भी उद्योग में सफलता के लिए मालिक, पूंजी, श्रमिक और सरकार महत्वपूर्ण कारक हैं लेकिन श्रमिकों के बिना कोई भी औद्योगिक ढांचा खड़ा नहीं किया जा सकता। अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस या मई दिन मनाने की शुरुआत 1 May 1886 से मानी जाती है जब अमेरिका की मज़दूर यूनियनों (labor unions of America) नें काम का समय 8 घंटे से अधिक न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। इस आंदोलन का कारण मजदूरों की कार्य अवधि थी। अपने हक के लिए मजदूर हड़ताल पर बैठ गए। जिसके बाद मजदूरों के नाम यह दिन (1मई) समर्पित किया।

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