Chhattisgarh Hareli Tihar
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हरेली तिहार में दिखेगा RIPA में निर्मित सामान, महिलाओं ने सजाई गेड़ी और पूजा थाली, खरीद सकेंगे बाजार से

Chhattisgarh Hareli Tihar: हरेली मुख्यतः खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है। इस त्यौहार के पहले तक किसान अपनी फसलों की बोआई या रोपाई कर लेते हैं।
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Chhattisgarh Hareli Tihar: छत्तीसगढ़ में इस बार रायपुर जिले के कोसरंगी ग्राम के रीपा में हरेली तिहार को पारंपरिक रूप से मनाने के लिए एक अनूठी पहल की जा रही है। रीपा में गेड़ी एवं पूजा थाली का निर्माण किया जा रहा है। जिसे आमजन बाजार में खरीद सकेंगे और हरेली तिहार का उत्सव मना सकेंगे। इस थाली में स्व-सहायता समूह की महिलाओं एवं बंसोड़ जाति लोगों द्वारा पूजा में उपयोग होने वाले सामग्री जैसे काला तिल, हल्दी, सुपाड़ी, रुई-बाती, कपूर-कुवारी धागा, मौली धागा, चुनरी, उड़द दाल, जवा, दशांग, रोली, कुमकुम, गुलाल, चंदन, अगरबत्ती, हवन सामग्री, लकड़ी (पलास मदार, पीपल, बेल, फुड़हर, आम, गुलर, कुशा, खैर) एवं गेड़ी का निर्माण किया जा रहा है। पूजा थाली 85 रूपए एवं गेड़ी 120 रूपए प्रति नग की दर से खरीदा जा सकता है।

खेती-किसानी से जुड़ा पर्व हरेली:

हरेली तिहार छत्तीसगढ़ का सबसे पहला त्यौहार है, जो लोगों को छत्तीसगढ़ की संस्कृति और आस्था से परिचित कराता है। हरेली का मतलब हरियाली होता है, जो हर वर्ष सावन महीने के अमावस्या में मनाया जाता है। हरेली मुख्यतः खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है। इस त्यौहार के पहले तक किसान अपनी फसलों की बोआई या रोपाई कर लेते हैं और इस दिन कृषि संबंधी सभी यंत्रों नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ-सफाई कर उन्हें एक स्थान पर रखकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं। घर में महिलाएं तरह-तरह के छत्तीसगढ़ी व्यंजन खासकर गुड़ का चीला बनाती हैं। हरेली में जहां किसान कृषि उपकरणों की पूजा कर पकवानों का आनंद लेते हैं, आपस में नारियल फेंक प्रतियोगिता करते हैं, वहीं युवा और बच्चे गेड़ी चढ़ने का मजा लेते हैं।

स्थानीय तीज-त्यौहारों पर होते है सार्वजनिक अवकाश

छत्तीसगढ़ की संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए शासन द्वारा बीते साढ़े चार वर्षों के दौरान उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों के क्रम में स्थानीय तीज-त्यौहारों पर भी अब सार्वजनिक अवकाश दिए जाते हैं। इनमें हरेली तिहार भी शामिल है। जिन अन्य लोक पर्वों पर सार्वजनिक अवकाश दिए जाते हैं- तीजा, मां कर्मा जयंती, मां शाकंभरी जयंती (छेरछेरा), विश्व आदिवासी दिवस और छठ। अब राज्य में इन तीज-त्यौहारों को व्यापक स्तर पर मनाया जाता है, जिसमें शासन भी भागीदारी बनता है। इन पर्वों के दौरान महत्वपूर्ण शासकीय आयोजन होते है तथा महत्वपूर्ण शासकीय घोषणाएं भी की जाती है। वर्ष 2020 में हरेली पर्व के ही दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना की शुरूआत की थी जो केवल 3 वर्षों में अपनी सफलता को लेकर अन्य राज्यों के लिए नजीर बन गई है।

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