उपसरपंच ने पत्नी संग मिलकर किया फ्रॉड- फर्जी साइन कर तैयार किया वनभूमि पट्टा, समर्थन मूल्य पर बेचा धान
Chhattisgarh Fraud in Case: छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के तुमगांव थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत मालीडीह (Malidih Village Panchayat) के उपसरपंच और उसकी पत्नी के खिलाफ फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। जिसमें दोनों ने मिलकर फर्जी तरीके से वनभूमि का पट्टा तैयार किया और उस जमीन के एवज में समर्थन मूल्य पर धान बेचा है। दोनों के खिलाफ कलेक्टर आदिवासी विकास शाखा (Collector Tribal Development Branch) की शिकायत पर 420, 467, 471, 468, 34 के तहत अपराध दर्ज किया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, उप सरपंच 2015 से 2020 तक मालीडीह ग्राम पंचायत का सरपंच भी रह चुका है। फर्जीवाड़ा मामले में सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास शाखा के अधिकारी ने तुमगांव थाने में लिखित शिकायत की थी। जिसके अनुसार ग्राम मालीडीह निवासी दिलीप असगर और उनकी पत्नी कामता बाई के जरिये ग्राम मालीडीह वन क्षेत्र के खसरा नंबर 829/1 रकबा 1.95 हेक्टेयर और खसरा नंबर 829/2 रकबा 1.95 हेक्टेयर का कुटरचना कर फर्जी तरीके से वन अधिकार पट्टा तैयार कर धान खरीदी केंद्र तुमगांव में पंजीयन कराया और धान बेचा।
जांच टीम का किया था गठन :
इस मामले को लेकर कलेक्टर ने जांच के लिए चार सदस्यी टीम का गठन किया था। जिसमें सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास शाखा, एसडीएम महासमुंद, नायब तहसीलदार पटेवा और एसडीओ वन विभाग शामिल थे। टीम ने जांच के दौरान पाया कि दिलीप असगर और कामताबाई असगर ने कलेक्टर, डीएफओ के फर्जी हस्ताक्षर, सील मुहर से वनाधिकार पट्टा तैयार कर उस जमीन पर खेती कर रहे थे और तुमगांव धान-खरीदी केंद्र में पंजीयन कराकर धान बेचा था। उपसरपंच के वन अधिकार पट्टा की मूल प्रति कभी भी जमा नहीं की गई थी, फोटो कापी के सहारे फर्जीवाड़ा कर धान बेच रहे थे।
जांच टीम ने किया खुलासा :
जांच टीम ने शिकायत में पुलिस को बताया है कि दिलीप असगर और कामताबाई असगर से जांच के दौरान वन अधिकार पट्टे का मूल दस्तावेज मांगा गया। मगर उन्होंने वह दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया। इन परिस्थितियों में संबंधितों की जालसाजी का खुलासा हुआ अब उप सरपंच और उनकी पत्नी दोनों फरार है।
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